हनुमानगढ़ी से जौनपुर के गुरैनी मदरसा तक की राहुल गांधी की किसान यात्रा के जनता कनेक्शन में प्रशांत किशोर की रणनीत का जादू सर चढ़ कर बोलने लगा है। ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में न जोश था न उत्साह और न ही जनता से कोई सीधा जुड़ाव। ऐसे में प्रशांत किशोर की रणनीत ने अप्रत्याशित रूप से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह भर दिया है। जो निष्क्रिय थे सक्रिय हो गए। आम जनमानस में कांग्रेस और राहुल की किसान यात्रा चर्चा में है। और राहुल गांधी और किसानो के बीच संवाद ने तो प्रदेश के अन्य राजनैतिक दलों की रातों की नींद उड़ा दी है। किसान यात्रा ख़त्म होते-होते कार्यकर्ताओं में जोश स्थायी रूप ले चुका होगा और नए जुड़ने वाले कार्यकर्ताओं की लंबी कतार। इतना ही नहीं जनता से सीधे संवाद का असर भी प्रदेश की जनता में साफ दिखेगा। और यही प्रशांत किशोर की रणनीत का हिस्सा भी। वैसे भी अगर आप देखें तो लगभग दो दशक से बड़े नेताओं को छोड़ दें स्थानीय सांसद विधायक का जनता से कोई कनेक्शन या संवाद नहीं रहा। बस साम्प्रदायिक और जातीय आधार पर गोलबंदी और जज़्बात के आधार पर वोट लेने की सियासत दिखी है। किसान लगभग 70 प्रतिशत है पर उसकी समस्याओं की अनदेखी का नतीजा आत्महत्या है। और किसानो के क़रीब जाकर उनके दिल का हाल किसी ने न जाना हाँ अपने मन की बात ज़रूर सुनाई गयी है। तो निश्चित रूप से ये प्रयास रंग लाएगा और उत्तर प्रदेश् के चुनावी समीकरण को बदल के रख देगा। पर इसका प्रभाव कितना सीटों में बदलेगा ये तो वक़्त बताएगा। किसान यात्रा के बहाने हिन्दू और मुस्लिम दोनों से जोड़ने की हनुमान गढ़ी से गुरैनी मदरसा तक की कोशिश भी अगर रंग लाई तो बाक़ी सब का बंटाधार तय है।
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