उत्तरप्रदेश विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को हलके में लेने वालों के लिए इससे बड़ा झटका और क्या हो सकता है। बिहार के बाद प्रशांत किशोर के जादू का असर यूपी में साफ दिखने लगा है। बरसों से कांग्रेस के कमज़ोर संगठन हतोत्साहित कार्यकर्ताओं में जैसे नई ज़िन्दगी आ गयी हो। कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारी और बड़े नेता उत्साह, उमंग,अनुशासन और ज़िम्मेदारी से लबरेज़ दिखे। और इतना तो काफी है पार्टी में नई जान फूंकने के लिए। और स्थान का सेलेक्शन भी क्या ख़ूब था जहाँ से एक तीर से कई निशाने हो सके। एक तो पूर्वांचल दूसरे बनारस, मुसलमानो को जोड़ने की कई दिन पहले से बाक़ायदा पहल और निशाने पर मोदी भी सपा भी। बहरहाल उत्तर प्रदेश में अपने को स्थापित समझने वाली पार्टियो की रातों की नींद उड़ गयी। चुनाव की तैयारी में अब कांग्रेस अब अग्रिम पंक्ति में है तो कार्यकर्ता आत्मविश्वास से भरा हुआ। प्रदेश् में जो हालात सपा और भाजपा के ख़िलाफ़ हैं कांग्रेस उसे अपने पक्ष में करने का कोई मौक़ा चूकने नहीं जा रही है।इस बात का एहसास प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीत से साफ कर दिया है। और कांग्रेस का लै में आना दरअसल सपा के लिए ख़तरे की घंटी है। इस ज़बरदस्त आग़ाज़ से तो एक शेर याद आता है( इब्तेदाय इश्क़ है रोता है क्या, आगे आगे देखिये होता है क्या।) सच तो ये ही है कि शंखनाद कहें बिगुल कहें जो भी हो इसके बजने से सपा, भाजपा, बसपा सब के सब हैरान भी और परेशान भी। तो पी के का जादू चलने लगा है।
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