Saturday 21 May 2016

मुस्लिम आरक्षण पर बेवक़ूफ़ बनाना और सच्चर कमेटी भूल जाना। वाह अखिलेश जी वाह।

पिछले चुनाव में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का वादा धरा रह गया उसपर कोई अमल नहीं किया गया। इसलिए की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू होने से बदतरीन हालात में जी रहे मुसलमानो की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक हालात में गुणात्मक सुधार होता जो ये सियासत करने वाले नहीं चाहते। सच्चर कमेटी ने माना है कि मुसलमानो के हालात इस मुल्क में अनुसूचित जाति से भी बदतर हैं और यहाँ तक की उन्हें उपर उठाने के लिए आरक्षण की ज़रूरत है। पर आरक्षण ऐसा मुद्दा है कि संविधान संशोधन सामान्यता संभव नहीं दिखता और इस पर हिंदू-मुसलमान का विवाद और सियासत और वोट बैंक की राजनीति ज़रूर संभव है। जो चुनावी वर्ष मे अखिलेश यादव करके वोट बैंक की सियासत और बेवकूफ बनाने का काम ज़रूर कर रहे। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में ढ़ेर सारी सिफारिशें ऐसी हैं जिसे लागू करना राज्य सरकार के अधिकार में है और उसके लागू होने से मुसलमानो की पढाई-लिखाई रोज़गार और जीवन स्तर उपर उठने के चमत्कारिक परिणाम सामने आते। लेकिन ऐसा नहीं किया गया बस मदरसों को अनुदान, कुछ ख़ास मुसलमानो को खुश करना और चुनाव आने पर आरक्षण का शिगूफा छोड़ना ताकि हुकूमत बनी रहे। जो कर सकते वो किया नहीं और जो बस में नहीं उसका ढिंढोरा। वाह अखिलेश जी ये कब तक चलेगा मतदाता जागरूक है और समय पर अपनी ताक़त का एहसास कराता है।

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