Tuesday 12 July 2016

राजबब्बर बने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष, पी के का ज़बरदस्त आग़ाज़।

अभी तक तो ऐसा लग रहा था कि सिर्फ भाजपा और अमित शाह ही यूपी चुनाव की तैयारी बाक़ायदा कर रहे हैं । बड़ी-बड़ी रैलियां अपना दल, भासपा से गठबंधन। पर प्रशांत किशोर ने अपनी मौजूदगी का एहसास कराते हुये ज़बरदस्त आग़ाज़ किया है। पिछले काफी अरसे से यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष चाहे वो निर्मल खत्री हों या रीता बहुगुणा जोशी, उनकी पहचान सिर्फ अपने चुनावी हलके तक थी। कोई प्रादेशिक पहचान न आकर्षण। पर राजबब्बर ऐसा व्यक्तित्व है जो न किसी पहचान के मोहताज और न ही आकर्षण की कोई कमी बल्कि निश्चित रूप से ये कांग्रेस के चुनावी क़ाफ़िले को नई रूह बख्शेंगे। कुशल वक्ता, परिपक्व राजनितिक इतना ही नही ख़तरे की घंटी तो सपा के लिए है। राजबब्बर मुसलमान मतों को अपने पक्ष में बख़ूबी कर सकते हैं। मुफीद-ए-आम डिग्री कॉलेज आगरा के अध्यक्ष रहे राजबब्बर के पास अभिनेता की पहचान के साथ लंबा राजनितिक तजुर्बा भी है। वी पी सिंह के जनमोर्चा से लेकर तीन बार का लोकसभा चुनाव जीतना और शिकोहाबाद का चुनाव जीतना भी जुड़ा है। मुस्लिम मतदाताओं से जितना बेहतर कनेक्टिविटी राजब्बर कर लेंगे दूसरा कोई नहीं। कुल मिलाकर यूपी चुनाव इसक़दर दिलचस्प होगा की कुछ भी भविष्यवाणी करना आसान नहीं होगा। कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष ऐसा बनाया है जो कार्यकर्ताओं में जोश भी भरेगा और रैलियों में भीड़ भी।

जौनपुर संघर्ष मोर्चा के प्रमुख सुभाष कुशवाहा सड़क दुर्घटना में घायल हुये।

जौनपुर संघर्ष मोर्चा के प्रमुख,सक्रिय सामाजिक कार्यकर्त्ता और जन समस्याओं के लिए सदैव संघर्षरत सुभाष कुशवाहा का कल रात लगभग 10 बजे मोहल्ला रुहट्टा में एक्सीडेंट हो गया। ये दुर्घटना तब हुये जब वो एक तेरही कार्यक्रम से बाइक द्वारा वापस अपने घर जा रहे थे। उनके बाएं हाथ की कलाई में फ्रेक्चर और बाक़ी जिस्म में भी चोट आयी हैं। फ़ौरन उनके मित्र और स्थानीय नागरिक एक निजी अस्पताल में ले गए। जैसे ही लोगों को पता लगा देखते-देखते लोगों का ताँता लग गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से पूर्वांचल विश्विधालय के डॉ अमित वत्स, कर्मचारी नेता तनवीर अब्बास शास्त्री, भाजपा नेता विमल सिंह, अधिवक्ता शैलेन्द्र विक्रम सिंह,अजय सिंह, लोकेश कुमार, सतवंत सिंह,अतुल सिंह आदि रहे। 

Sunday 10 July 2016

ज़ाकिर नाइक के विरुद्ध लखनऊ में शिया मुसलमानो का ज़ोरदार विरोध/प्रदर्शन ।

पूरे भारत में डॉ ज़ाकिर नाइक के ख़िलाफ़ विरोध/प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में आज शिया नेशनल फ्रंट के बैनर तले मौलाना याशूब अब्बास के नेतृत्व में लखनऊ में ज़ोरदार प्रदर्शन किया। हज़रत गंज स्थित शाही मस्जिद के बाहर बड़ी तादाद में शिया मुसलमान इकट्ठा हुये और ज़ाकिर नाइक के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की। आतंकवाद मुर्दाबाद, नायक नहीं खलनायक है,ज़ाकिर नाइक को फाँसी दो, आतंकवाद बंद करो के गगन भेदी नारों के बीच ज़ाकिर नाइक का पुतला भी फूँका। फ्रंट के महासचिव मौलाना याशूब अब्बास ने इस अवसर पर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर पाबन्दी लगाने की मांग किया।साथ ही उनका कहना था की ये शांति के नाम पर आतंकवाद का सन्देश फैला रहा है। प्रदर्शनकारियों ने नाइक की सी बी आई जाँच की मांग किया। अंत में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को संबोधित पत्रक ज़िला प्रशासन को सौंपा।

डॉ ज़ाकिर नाइक - नायक या खलनायक ? जाँच एजेंसियां सक्रिय।

इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक, उपदेशक डॉ ज़ाकिर नाइक आरोपों और जाँच एजेंसियों के घेरे में हैं। आरोप है कि उनकी तकरीरों से नौजवान आतंकवाद की ओर आकर्षित हो रहा है। ढाका के हत्यारों में दो उनके प्रशंसक थे। हैदराबाद में पकड़े गये लोगों में एक उनके लिए अभियान चला चुका है।2006 से लेकर अबतक देश-दुनिया में हुयी तमाम आतंकवादी हरकतों में शामिल टोलियों में कुछ उनके प्रशंसक पाये गए हैं। आईएस में शामिल तमाम गुमराह नौजवान उनके फालोवर रहे हैं। ये महज़ एक इत्तेफ़ाक़ है या देश और समाज के लिए बाक़ायदा रची जा रही साज़िश का हिस्सा। बेशक ये जाँच का विषय है। जाँच होगी। एक्शन होगा। पर सवाल ये है कि जब आज पूरी दुनिया आतंकवाद की चपेट में है। हर रोज़ दुनिया के कई हिस्से में निर्दोष आतंकवादी घटना के शिकार हैं। ऐसे में डॉ ज़ाकिर नाइक को सार्वजानिक रूप से अपनी नीयत का खुलासा नहीं करना चाहिए। सऊदी हुकूमत का आतंकी और कट्टर विचारधारा का पोषण करना। फंडिंग करना और हमारे मुल्क में भी इसी विचारधारा को बढ़ावा देने और पानी की तरह पैसा बहाना जग-ज़ाहिर है। हमारे देश की हुकूमत, प्रशासन, और जनमानस को इनसे सख़्ती से निपटना अपरिहार्य हो गया है और जो भी उसका दोषी जाँच के बाद पाया जाय उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए। इन ताक़तों को भारत और ईरान के सम्बन्ध भी फूटी आँख नहीं भा रहे हैं। और ये भारत में भी अफरातफरी मचाने की बाक़ायदा कोशिश में है जिसे किसी हाल में कामयाब नहीं होने देना है। शिया धर्मगुरु इमामे जुमा लखनऊ मौलाना कल्बे जौवाद का कहना है की "ज़ाकिर नाइक जैसे लोग युवाओं को गुमराह  कर रहे हैं । ज़ाकिर कई बार भाषणों में लादेन और मुल्ला उमर जैसे आतंकियों की तारीफ कर चुके हैं।वो अपने चैनल पर मुस्लिम नौजवानो को ग़ैर मुस्लिम के खिलाफ भड़का रहे हैं । सरकार इसकी सख़्ती से जाँच करे।" बहरहाल ज़ाकिर नाइक शक के घेरे में हैं और देश हिट में इस प्रकरण की जाँच कर कठोर करवाई दोषियों के खिलाफ हो चाहे वो ज़ाकिर नाइक हो या कोई और।

Tuesday 5 July 2016

इस्लाम और आतंकवाद में फ़र्क तो सिर्फ और सिर्फ हुसैन से है।

आजकल पूरी दुनिया में ये चर्चा आम है की इस्लाम और आतंकवाद में, मुसलमान और आतंकवादियों में फ़र्क़ क्या है।और अक्सर लंबी चौड़ी बहस के बाद भी दुनिया भर का नेक सच्चा और असली मुसलमान सामने वाले को वो जवाब नहीं दे पाता जो बांग्लादेश के नौजवान फ़राज़ हुसैन ने दिया। फ़राज़ ने दुनिया को सन्देश दिया की मासूमों और मज़लूमों का बेगुनाहों का क़त्ल करने वाला मुसलमान हो ही नहीं सकता बल्कि मुसलमान वो है जो हक़ की ख़ातिर, इंसानियत की ख़ातिर, और दोस्ती की ख़ातिर हँसते-हँसते शहीद और क़ुर्बान हो जाये। बांग्लादेश की घटना में आतंकियों ने मासूमों का क़त्ल तो किया ही ,पर वो फराज़ को छोड़ कर इस्लाम को पूरी दुनिया में रुस्वा करना चाहते थे। लेकिन फ़राज़ ने ज़िल्लत की ज़िंदगी के मुक़ाबले इज़्ज़त की मौत को चुना और अपनी दोस्त तिरिषि जैन के लिए, दोस्ती के लिए, हक़ के लिए, इंसानियत के लिए अपनी जान क़ुर्बान कर दी। क्योंकि फ़राज़ सिर्फ फ़राज़ नहीं बल्कि फ़राज़ हुसैन था। जी जहाँ हुसैन होंगे वहां आतंकवाद नहीं हो सकता और जहाँ आतंकवाद हो वहां हुसैन नहीं और जहाँ हुसैन नहीं वहां इस्लाम हो ही नहीं सकता। ख़्वाजा अजमेर चिश्ती बहुत पहले कह चुके कि हुसैन दीन हैं। आज से 1400 साल पहले यज़ीद और हज़रत इमाम हुसैन के बीच कर्बला में जंग हुयी। दोनों पक्ष नमाज़ पढ़ते थे, रोज़ा, अज़ान , दाढ़ी सब, पर यज़ीद आतंकी था उसने हज़रत इमाम हुसैन और उनको बेरहमी से क़त्ल किया तीन दिन का भूखा- प्यासा जो मुहम्मद साहब (स0) के नवासे और सर्वथा हक़ पर थे। कर्बला में जो हक़ के लिए शहीद हुये वो हुसैन थे मुसलमान थे और इस्लाम और इंसानियत के रक्षक जिन आतंकियों ने शहीद किया वो आज के आतंकियों की तरह ही मुसलमान का चोला पहने थे। और यज़ीद और आज के आतंकियों का आपस में वही रिश्ता है जो एक ज़ालिम का दूसरे ज़ालिम से पुश्तैनी ख़ूनी और ख़ानदानी रिश्ता होता है। पर एक अकेला फ़राज़ हुसैन उन बहुत से आतंकियों के मुँह पर कालिख़ पोत गया और इस्लाम और आतंकवाद के फ़र्क़ को समझा गया। सलाम है उस सच्चे मुसलमान फ़राज़ हुसैन को और सीरिया, इराक़, ईरान और कर्बला में आज भी हुसैनी होने के नाते आतंकियों से लड़कर शहीद हो रहे और उनके ज़ुल्म का शिकार भी। पर सच तो ये है की जब तक नामे हुसैन ज़िंदा है इस्लाम, इंसानियत और हक़ की ख़ातिर अकेले फ़राज़ जैसे लोग आतंक को बेनक़ाब और रुस्वा करते रहेंगे। चाहे उन्हें जान ही क्यों न क़ुर्बान करना पड़े। जो कोई खेल नहीं बल्कि हुसैनी जज़्बा है।

तहसील दिवस पर चकबंदी अधिकारी रहे सामूहिक अवकाश पर। बांधी काली पट्टी।

जौनपुर। अपनी मांगों के समर्थन में प्रादेशिक चकबंदी अधिकारी संघ के आवाहन पर जनपद शाखा के चकबंदी अधिकारी आज तहसील दिवस पर सामूहिक अवकाश पर रहे। उक्त आशय की जानकारी देते हुये हमको संघ के ज़िला महासचिव डॉ ब्रजेश पाठक ने बताया की सहायक चकबंदी अधिकारी का ग्रेड 4800- करने तथा उन्हें दिनाक 30-6-16 तक राजपत्रित अधिकारी का दर्जा न देने के कारण हम पहली जुलाई से काली पट्टी बांधकर कार्य कर रहे हैं। तहसील दिवसों पर सामूहिक अवकाश पर रहेंगे तथा डी ऍम के माध्यम से पत्रक मुख्यमंत्री को सौपेंगे। डॉ पाठक ने उत्तर प्रदेश शासन से मांगे पूरी करने की अपील की है। और विश्वाश जताया की शासन जल्द ही हमारी मांगों को पूरा करेगा। इस अवसर पर चकबंदी अधिकारी कामता प्रसाद, सहायक चकबंदी अधिकारी धर्मदेव सिंह यादव,राम तिलक वर्मा आदि मौजूद रहे।

Saturday 2 July 2016

जुमले-बाज़ी का शिकार सातवां वेतन आयोग, 11 जुलाई से होगी महाहड़ताल ।

सातवां वेतन आयोग भी केंद्र सरकार की जुमले-बाज़ी का शिकार हो गया। कर्मचारी अपने-आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। जब जस की तस माह दिसम्बर में प्रस्तुत सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करनी थी तो फिर सचिवों की कमेटी बनाने और जानबूझकर महीनो टालने की ज़रुरत क्या थी। और तो और गज़ब का मीडिया मैनेजमेंट की विभिन्न समाचार पत्र, टीवी चैनल और वेबसाइड 29 जून तक ये ख़बर देते रहे की सरकार न्यूनतम वेतन 23500- या फिर 27000- स्वीकार करेगी साथ ही 2.9 से 3.4 तक की पे मैट्रिक्स देने जा रही है। पर जिस 7000 को 18000 का ढिंढोरा पीटा जा रहा है वो चपरासी जनवरी 2016 की स्थिति के हिसाब से महज़ 2000- के फायदे में है और नयी बीमा स्कीम के हिसाब से तो उसकी टेक होम सैलेरी और कम हो जायेगी। कुल मिलाकर लगभग हर वेतनमान में उतना भी इज़ाफ़ा नहीं जितना एक कर्मचारी एक वर्ष में डी ए की दोनों किश्तें और वेतन वृद्धि से पाता था फिर इस जुमलेबाजी के आयोग के मायने क्या। बहरहाल 11 जुलाई से केंद्रीय कर्मचारी ऐतिहासिक और महाहड़ताल करने जा रहा है जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ भी पूरे दम-खम से भागीदारी करेगा। हमसे बात करते हुये महासंघ के पदाधिकारी अजय सिंह व अशोक सिंह का संयुक्त रूप से कहना था की कर्मचारी लामबंद है, पूरी तैयारी है। ऎसी हड़ताल न देखी गयी होगी और न सुनी गयी होगी। सरकार को अभी हमारी ताक़त और एकजुटता का एहसास नहीं है। 11 जुलाई से संघर्ष की नई इबारत लिखी जायेगी जो जीत का परचम लहरायेगी।