Tuesday 30 August 2016

जौनपुर की अनवर जहाँ को शिक्षक दिवस पर मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार। ज़िले का नाम किया रौशन।

जौनपुर। नगर के मोहल्ला रिज़वी खान, अटाला मस्जिद के पीछे की निवासी तथा आजमगढ़ राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत अनवर जहां को अध्यापन में उत्कृष्ट कार्य के लिए देश के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जायेगा। उत्तर प्रदेश से कुल 9 शिक्षकों को यह सम्मान मिला है।अनवर जहाँ राजकीय सेवा में सन् 1984 में लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित हुयी। इसके बाद स्नातक वेतन क्रम में राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज जौनपुर में कार्यभार ग्रहण किया।वह 1995 में राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज आजमगढ़ में स्थानांतरित हुई, तब से अब तक वहां शिक्षा विभाग की सेवा कर रही हैं। इस ख़बर को सुनते ही उनके परिजनों, जनपद वासियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है। सामाजिक कार्यकर्त्ता तनवीर अब्बास शास्त्री ने अपनी ऑन्टी (मौसी) को इस उपलब्धि के लिये जनपद वासियों की तरफ से बधाई दी है।

Sunday 28 August 2016

जौनपुर संघर्ष मोर्चा ने जन समस्याओं के लिए शहर कोतवाल को सौंपा पत्रक।

जौनपुर संघर्ष मोर्चा के प्रमुख सुभाष कुशवाहा ने मोर्चा के दर्जनों पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ नगर की क़ानून व्यवस्था और आये दिन होने वाली जाम की समस्या के निदान हेतु 9 सूत्रीय पत्रक नगर कोतवाल की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि को सौंपा। प्रभारी कोतवाल को संबोधित पत्रक को सौंपते हुये मोर्चा के पदाधिकारियों का स्पष्ट रूप से कहना था कि सभी चौराहों पर लगे सीसी टीवी कैमरा दुरुस्त हो और उसके ज़रिये नियम तोड़ने वालों के विरुद्ध कार्यवाही हो। नगर से बस स्टैण्ड हटाकर शहर का विस्तार किया जाय।सड़क पर खड़ी बेतरतीब गाड़ियों और वनवे का पालन न करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही की जाय।चौराहों से अघोषित ऑटो स्टैंड हटाया जाय। स्कूली बसें बड़ी के बजाय छोटी चलायी जाय और स्कूल छूटने की टाइमिंग भी अलग-अलग हो। पत्रक सौपने वालों में मोर्चा प्रमुख श्री कुशवाहा के आलावा आकिल जौनपुरी, अरुण यादव सभासद,महेश सेठ नगर अध्यक्ष, सतवंत सिंह आदि रहे।

Saturday 27 August 2016

स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन जौनपुर के प्रथम शहीद राजा इदारत जहाँ(1857) पर पीएचडी की उपाधि अवार्ड हुई।

जंगे आज़ादी (1857) में जौनपुर का नेतृत्व करने वाले शहीद राजा इदारत जहाँ जिन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने टेकना गवारा नहीं किया बल्कि देश के सच्चे सपूत की हैसियत से राजपाट और प्राण सबकुछ न्यौछावर कर दिया। 10 मई 1857 को जौनपुर के मुबारकपुर गाँव में अपने 40 साथियों के साथ अंग्रेजों के साथ वीरता से लड़ते हुये शहीद कर दिये गए। देश के इस महान सपूत को समय के साथ भुला दिया गया। हर वर्ष उनके शहादत दिवस पर महज़ उनके वंशज मुबारकपुर के ग्रामवासी और चंद लोग ही उनकी मज़ार पर पहुँच कर याद करते हैं और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वर्तमान में डॉ राकेश कुमार ने "जौनपुर में राष्ट्रीय आंदोलन और राजा इदारत जहाँ (1857-1930 ई तक) " टॉपिक पर पहली बार रिसर्च किया। डॉ गोविन्द मिश्र के निर्देशन में डॉ राकेश कुमार ने ये उपलब्धि हासिल की। चूँकि राजा इदारत जहाँ पर अभी तक किसी इतिहास के विधार्थी ने शोध नहीं किया था इसलिये ये दुरूह कार्य था। पर डॉ राकेश ने राजा इदारत जहाँ पर शोध के लिये कठिन परिश्रम किया।इन्होंने राजा साहब के क्रिया-कलापों और तत्कालीन परिस्थितियों का जिस प्रकार वर्णन किया है बेशक सराहनीय है।डॉ राकेश ने अपने शोध कार्य के लिये देश की विभिन्न पुस्तकालयों का दौरा किया तथा जो भी लिखा वह प्रसिद्ध इतिहासकारों, विद्धानों, तत्कालीन अख़बार, मैगज़ीन तथा प्रमाणयुक्त कथनो और तथ्यों के आधार पर लिखा है। जो निश्चित रूप से आज की पीढ़ी और जंगे आज़ादी की तारीख़ के लिए मील का पत्थर है। राजा इदारत जहाँ के प्रपौत्र राजा अंजुम हुसैन, कुँवर तनवीर अब्बास शास्त्री ने डॉ राकेश कुमार उनके गाइड डॉ गोविन्द देव मिश्र तथा इस कार्य में सहयोग देने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ पी एन विश्वकर्मा, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, सभी सहयोगियों का ह्रदय से आभार प्रकट करते हुये कहा की उनका ये प्रयास शहीद राजा इदारत जहाँ की शहादत और क़ुर्बानी को जनमानस तक पहुचाने का बेहतरीन ज़रिया साबित होगा। और यही उस शहीद के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

Thursday 11 August 2016

दल-बदल का मौसम और छोड़-पकड़, मतलब का आया त्यौहार है।

जैसे-जैसे उत्तरप्रदेश विधानसभा का चुनाव क़रीब आ रहा है, वैसे-वैसे प्रदेश के नेताओं की विचारधारा, रहनुमा और दल भविष्य के एतबार से बहुत तेज़ी से बदल रहा है। हर रोज़ वर्तमान और पूर्व विधायक का एक दल से दूसरे दल में जाने की ख़बरें अख़बार में छपना आम है। विधानसभा चुनाव जीतने,आने वाली सरकार में अपनी भूमिका तय करने में हर रोज़ नेता अपना राजनैतिक ठौर-ठिकाना और प्राथमिकताएं बदल रहे हैं। जनता भी इस स्वार्थपरक बदलाव,आने-जाने और पल में विचारधारा और दल बदलने को बड़े ग़ौर से देख रही है। और असल ताक़त तो लोकतंत्र में जनता ही है, जो बड़ी ही ख़ामोशी से इस खेल पर अपनी नज़र रखे है और उतनी ही गंभीरता से जब फैसला लेती है तो तख़्त-ताज हुकूमत सब कुछ बदल जाते हैं और नेताओं की चालाकी भी धरी रह जाती है। बहरहाल ये दल-बदल, चोला और रहनुमा और नेता बदलने का दौर है बड़ा ही दिलचस्प।

Tuesday 2 August 2016

बनारस में कांग्रेस को मिला अपार जनसमर्थन, पार्टियों में मची खलबली।

उत्तरप्रदेश विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को हलके में लेने वालों के लिए इससे बड़ा झटका और क्या हो सकता है। बिहार के बाद प्रशांत किशोर के जादू का असर यूपी में साफ दिखने लगा है। बरसों से कांग्रेस के कमज़ोर संगठन हतोत्साहित कार्यकर्ताओं में जैसे नई ज़िन्दगी आ गयी हो। कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारी और बड़े नेता उत्साह, उमंग,अनुशासन और ज़िम्मेदारी से लबरेज़ दिखे। और इतना तो काफी है पार्टी में नई जान फूंकने के लिए। और स्थान का सेलेक्शन भी क्या ख़ूब था जहाँ से एक तीर से कई निशाने हो सके। एक तो पूर्वांचल दूसरे बनारस, मुसलमानो को जोड़ने की कई दिन पहले से बाक़ायदा पहल और निशाने पर मोदी भी सपा भी। बहरहाल उत्तर प्रदेश में अपने को स्थापित समझने वाली पार्टियो की रातों की नींद उड़ गयी। चुनाव की तैयारी में अब कांग्रेस अब अग्रिम पंक्ति में है तो कार्यकर्ता आत्मविश्वास से भरा हुआ। प्रदेश् में जो हालात सपा और भाजपा के ख़िलाफ़ हैं कांग्रेस उसे अपने पक्ष में करने का कोई मौक़ा चूकने नहीं जा रही है।इस बात का एहसास प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीत से साफ कर दिया है। और कांग्रेस का लै में आना दरअसल सपा के लिए ख़तरे की घंटी है। इस ज़बरदस्त आग़ाज़ से तो एक शेर याद आता है( इब्तेदाय इश्क़ है रोता है क्या, आगे आगे देखिये होता है क्या।) सच तो ये ही है कि शंखनाद कहें बिगुल कहें जो भी हो इसके बजने से सपा, भाजपा, बसपा सब के सब हैरान भी और परेशान भी। तो पी के का जादू चलने लगा है।