जौनपुर। ऐतिहासिक शाही किले के ठीक सामने स्थित किले की टंकी को तोड़ने का कार्य शुरू हो गया है। बताया जाता है कि सन 1935 में ब्रिटिश हुक्मरानों ने इसका निर्माण कराया था। जो अपने आप में उस समय की आधुनिक तकनीक के आधार पर बनी थी जो जलकल जौनपुर से पानी की सप्लाई होने पर नीचे से उपर प्रेशर के कारण भरती थी फिर जलकल से पानी बंद होने पर भी ये पूरे इलाके में पानी सप्लाई करती थी। फिर कोई सन 1950 में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया। वर्तमान में ये पूरे शहर में किले की टंकी लैंड मार्क के रूप में विख्यात है। हाल के वर्षों में भी एक बार इसकी आज़माइश जलकल वालों ने की थी। और माना कि इसका इस्तेमाल कर पानी सप्लाई व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है। पर जौनपुर सुंदरीकरण अभियान में प्रशासन का मानना है कि ये फ़िज़ूल की जगह घेरे है इसका टूटना ज़रूरी ताकि किले तिराहे को चौड़ा सुन्दर बनाया जा सके। लोगों का इससे एक लगाव सा है और पानी की सप्लाई के लिए इस्तेमाल हो सकता था। इसलिए बहुत से लोग किले की टंकी टूटने से खुश नहीं हैं।
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