Wednesday 10 May 2017

स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के प्रथम शहीद राजा इदारत जहाँ का मनाया गया शहादत दिवस।

 शहीद दिवस जौनपुर। स्वतन्त्रता संग्राम आंदोलन के जौनपुर के प्रथम शहीद राजा इदारत जहाँ को मुबारकपुर जौनपुर स्थित उनकी मज़ार पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी राजा इदारत जहाँ के शहादत दिवस पर बाक़ायदा याद किया गया। इस अवसर पर उनके प्रपौत्र राजा अंजुम हुसैन, कुंवर तनवीर अब्बास शास्त्री तथा परिवार के अन्य सदस्यों सहित स्थानीय लोगों ने सबसे पहले मज़ार पर चादर पोशी की। श्रद्धा सुमन अर्पित किया। और राष्ट्रगान के बाद राजा अंजुम हुसैन 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम आंदोलन के शहीद उनके पूर्वज राजा इदारत जहाँ के स्वतन्त्रता आंदोलन में भागीदारी क़ुर्बानी और शहादत पर प्रकाश डालते हुये कहा कि हमें गर्व की हमारे पूर्वज ने देश की ख़ातिर सब कुछ क़ुर्बान कर दिया।इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने भारत माता की जय, राजा इदारत जहाँ अमर रहें, शहीदों तेरे अरमानो को मंज़िल तक पहुंचाएंगे, के गगनभेदी नारे लगाये। इस अवसर पर हमारा जौनपुर डॉट कॉम के संचालक एस एम् मासूम  साहब, चतुर्वेदी जी, सरफ़राज़ अहमद आदि लोग उपस्थित रहे।

Friday 24 March 2017

वतन परस्तों ने वतन पे मिटने वालों का अज़ीम पैमाने पर मनाया शहादत दिवस।

जौनपुर। यूं तो इस मुल्क में हर रोज़ कोई न कोई आयोजन कार्यक्रम होते रहते हैं। जो अपनी शानो-शौकत भव्यता या फिर अपने मक़सद और कुछ लोगों के लिए जाने जाते हैं। पर 23 मार्च को जौनपुर संघर्ष मोर्चा ने देश के लिए अपने प्राण हँसते-हँसते न्योछावर करने वाले शहीदे-ए-आज़म भगत सिंह, राजगुरु व् सुखदेव की शहादत दिवस ऐसे मनाया जैसे दिल से इन शहीदों याद किया जाना चाहिए। न कोई औपचारिकता न फ़र्ज़ अदायगी और न ही सियासी मक़सद। मक़सद था तो बस इतना कि हम उसका ज़िक्र बाक़ी रखना जिसके ज़िक्र से देशभक्ति के ख़ून में रवानी आ जाये। जिसकी चर्चा से भ्रस्टाचार, आतंकवाद की रूह कांप जाये। जिसके नाम लेने से सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन का जज़्बा बाक़ी और क़ायम रहे। जिसके विचार और चिंतन हमें हर दौर में कामयाबी का रास्ता दिखाएँ। ये मोर्चा प्रमुख सुभाष कुशवाहा और उनके साथियों की नेक कोशिश का ही नतीजा था की समाज के हर तबके के लोगों ने पूरे ख़ुलूस के साथ कार्यक्रम में शिरकत की और साबित किया कि भगत सिंह और उनके विचार आज भी ज़िन्दा हैं। आज़ादी से लेकर आज तक की कोई भी सरकार उनके शहादत दिवस पर अवकाश भी घोषित न कर सकीं। पर भगत सिंह तो हर हिंदुस्तानी के दिल में ज़िन्दा हैं। इस कार्यक्रम में हर साल शिरकत करने वाले हर दिल अज़ीज़ विद्या सागर सोनकर प्रदेश महामंत्री जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भी रहे। मसरूफियत के चलते नहीं पहुँच सके। पर लखनऊ से ही मोबाइल से अपना संबोधन किया। टी डी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अरुण सिंह और पूर्वांचल विश्वविद्यालय के डॉ अमित वत्स ने भी संबोधित किया। सतवंत सिंह, सभासद अरुण यादव, इरशाद मंसूरी के अतरिक्त महेश सेठ, महावीर पाल अधिवक्ता आदि बड़े पैमाने पर प्रमुख जन उपस्थित रहे।

Sunday 19 March 2017

गिरीश यादव के आम कार्यकर्ता से राज्यमंत्री बनने पर जौनपुर वासियों में ख़ुशी की लहर।

जौनपुर। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्त्ता परंतु लोकप्रिय जुझारू, कर्मठ, संघर्षशील और लोकप्रिय ग्रीश यादव के विधायक बनने से लेकर राज्यमंत्री की शपथ लेने तक के सफ़र को देखकर जनता में ख़ुशी की लहर भी है और हैरत भी । क्योंकि ऐसा सिर्फ और सिर्फ भाजपा में ही संभव है। कल तक शहर  के ख्वाजगी टोला, अल्फास्टीनगंज सहित हर चट्टी चौराहे पर बड़ी ही सहजता से उपलब्ध जनप्रिय व्यक्ति देखते ही देखते विधायक होना और राज्यमंत्री परिषद् में शामिल होना सच भी है और एक मिसाल भी। ये सच है की ग्रीश जी राजनैतिक सफ़र संघर्ष किसी से कम नहीं है। वो जिला पंचायत के सदस्य रहकर जनता की सेवा बख़ूबी कर चुके हैं। सुरेन्द्र जी के विधायक बनने में भी उनकी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। पर आज तो राजनीति में कामयाब होने के फार्मूले में महँगी चारपहिया वाहन सहित न जाने क्या-क्या है। गिरीश चंद यादव की कामयाबी इस बात का सुबूत है की आम समर्पित कार्यकर्त्ता जुझारू व्यक्ति भी कामयाबी की मंज़िल तय कर सकता है। जनपद वासियों की तरफ से उन्हें ढेर सारी बधाई और शुभकामनायें।

जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ , शपथ ग्रहण समारोह एवं होली मिलन का आयोजन।

लखनऊ। जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण समारोह एवं होली मिलन कार्यक्रम दिनाक 20.3.17 को समय अपराह्न 1.30 बजे स्थान जवाहर भवन प्रांगण में संपन्न होगा।जिसमे लोक संस्कृति गौरव सम्मान, गीत एवं ग़ज़ल गायिका डॉ मालविका हरिओम लखनऊ तथा भोजपुरी सिने-अभिनेत्री एवं गायिका निशा पाण्डेय की गरिमामय मौजूदगी कार्यक्रम को चार-चाँद लगाने के लिए काफी है। महासंघ के अध्यक्ष माननीय सतीश पाण्डेय, महामंत्री सुशील कुमार बच्चा तथा कार्यक्रम संयोजक अभय सिंह ने सभी को ह्रदय से आमंत्रित किया है। कर्मचारियों के असली नेता,हर दिल अज़ीज़ संघर्षशील नेतृत्व के मालिक सतीश पाण्डेय जी हर वर्ष होली मिलन कार्यक्रम अपने कर्मठ और बहादुर कर्मचारियों के साथ मिलकर अनूठा और यादगार करते हैं और इस बार ऐतिहासिक जीत का शपथ ग्रहण समारोह भी है। तो सतीश पाण्डेय जी और उनकी बहादुर टीम को अग्रिम बधाई और शुभकामनायें।

पूर्व क्रिकेटर मोहसिन रज़ा ने ली योगी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री की शपथ।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नवनिर्वाचित योगी सरकार के मंत्रिमंडल के एकमात्र मुस्लिम चेहरे के रूप में पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी के प्रवक्ता मोहसिन रज़ा ने बतौर राज्यमंत्री शपथ ली। रणजी ट्रॉफी में यूपी का प्रतिनिधित्व कर चुके मोहसिन रज़ा ने लखनऊ से शिक्षा भी ग्रहण की है। योगी मंत्रिमंडल के एकमात्र मुस्लिम सदस्य होने के नाते श्री रज़ा चर्चा में हैं। और उनके समर्थक प्रदेश भर में मिठाई बाटने और ख़ुशी मनाने में व्यस्त हैं।

Sunday 12 March 2017

मुख्य कोषाधिकारी जौनपुर राकेश सिंह ने दी होली पर्व की बधाई।

जौनपुर। मुख्य कोषाधिकारी जौनपुर राकेश सिंह ने समस्त अधिकारी-कर्मचारी और जनपदवासियों को होली पर्व की शुभकामनायें और बधाई दी है। हमसे बात करते हुये ज़िले के लोकप्रिय और कर्मठ अधिकारी राकेश सिंह ने सभी को रंगों के त्यौहार होली की हार्दिक बधाई देते हुये कहा की समस्त अधिकारीयों- कर्मचारियों के लिए इस वर्ष की होली ज़्यादा खुशियों भरी इसलिए है कि होली के ठीक पहले सभी ने पूरी ज़िम्मेदारी और परिश्रम से निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्य को कामयाबी के साथ संपन्न कराया।

ईवीएम् मशीन से पहले अपनी कार्यशैली का पुनरावलोकन ज़्यादा अहम् है।

यूपी के विधानसभा के चुनाव में भाजपा के ऐतिहासिक बहुमत प्राप्त करने के फ़ौरन बाद बसपा सुप्रीमो मायावती जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता पर मज़बूती के साथ गंभीर सवाल खड़े किये। इसमें दो राय नहीं है कि इससे पहले भी देश के कई नेताओं ने बाक़ायदा इस पर सवाल खड़े किये हैं। और ये बात भी सच है कि अमेरिका जैसे विकसित देश भी इसे छोड़ चुके हैं। तो बेशक इस गंभीर सवाल पर देश में विचार-विमर्श होना चाहिए और नतीजे पर भी पहुचना होगा। क्योंकि जो लोकतंत्र को ख़तरा पैदा करे ऐसी व्यवस्था बनाये रखना मुनासिब नहीं। पर इससे कम अहम् ये नहीं कि बसपा को अपनी पिछले कई वर्षो की कार्यशैली का पुनरावलोकन और समीक्षा गंभीरता पूर्वक करना होगा। सन् 2014 के संसदीय चुनाव में जब प्रदेश की स्थापित पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली अति पिछड़ा साथ छोड़ गया तो लगभग तीन साल के अंतराल में 2017 के चुनाव आने तक ज़िले-ज़िले जाकर कितने कार्यकर्त्ता सम्मलेन किये गए। कार्यकर्ताओं से संवाद मशविरा हुआ ही नहीं और न ही लगातार छोड़ कर जा रहे अतिपिछड़ों के जाने की वजह और उन्हें जोड़ने पर कितना चिंतन मंथन और प्रयास किया गया। तो नतीजा शून्य ही निकलेगा इतना ही नहीं अनुसूचित जाति के लोगों को भी वोटबैंक से ज़्यादा की तरजीह नहीं दी गयी। ऐसे में लोकतंत्र में तानाशाही रवैये से किसी को बहुत दिन बांधे नहीं रखा जा सकता है। जहाँ मान्यवर कांशीराम ने दलित समुदाय के अंदर एक नई जागरूकता पैदा की वहीँ अतिपिछड़े वर्ग की ढेर सारी जातियां जिनकी कोई राजनैतिक पहचान नहीं थी उन्हें खड़ा किया जगाया और जोड़ने का काम किया पर वक़्त के साथ ये सारे लोग धीरे-धीरे साथ छोड़ते गए। टिकटों की तिजारत के इलज़ाम लगते रहे और आज तो अस्तित्व का संकट है। और इन्ही छोड़ कर गए लोगों को मोदी और अमितशाह ने बड़ी ही राजनैतिक चतुराई से अपने साथ जोड़ा और सपा के सिर्फ एक बिरादरी के सत्ता के लाभ लेने और दुरुपयोग ख़िलाफ़ आमजन के ग़ुस्से को अपने पक्ष में इतनी कामयाबी के साथ ले गए कि केंद्र सरकार की विफलताओं की चर्चा न जाने कहाँ गम हो गयी। इतना ही नहीं सपा-बसपा कांग्रेस ने इतना मुसलमान-मुसलमान किया इनके वोट अपने पक्ष में लेने के लिए। उतना बीजेपी का रास्ता और आसान हो गया। बहरहाल सपा-बसपा अब से नहीं जागे तो इनके वजूद क़ायम रहने में भी मुझे शक है। सिर्फ प्रेस वार्ता रैली से काम नहीं चलेगा आमजन और आम कार्यकर्ता से राबता क़ायम करना होगा विशेष् रूप से मायावती जी और बसपा को।

Monday 20 February 2017

चुनाव 2017 पोलिंग पार्टियों के स्टेशनरी पैकेट युद्ध स्तर पर हो रहे तैयार।

जौनपुर। विधानसभा सामान्य निर्वाचन 2017 में जौनपुर की 9 विधानसभा की सभी पोलिंग पार्टियों को दिए जाने वाले स्टेशनरी पैकेट को तैयार करने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। हमसे बात करते हुये चकबंदी कर्ता संघ के ज़िला अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने बताया की सहायक स्टेशनरी  प्रभारी रामकुमार गुप्ता(चकबंदी अधिकारी) के कुशल निर्देशन में विभाग के दर्जनों अधिकारी/कर्मचारी कड़ी मेहनत करके पूरी लगन के साथ पैकेट को तैयार कर रहे हैं। हमारे संवाददाता जब नवनिर्मित निर्वाचन कार्यालय पहुंचे तो पूरी टीम को कार्य सम्पादित करते हुये पाया। इस कार्य को ससमय सम्पन्न कराने में सहायक चकबंदी अधिकारी राजनाथ यादव, प्रताप बहादुर, विजय शंकर श्रीवास्तव, चकबंदी कर्ता प्रकाशचंद आदि सक्रिय हैं।

Wednesday 15 February 2017

पूर्वांचल की राजनीति का युवा चेहरा अब्बास अंसारी के बढ़ते क़दम।

मऊ जनपद के घोसी विधानसभा से बसपा के उम्मीदवार अब्बास अंसारी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। राजनीति और समाज सेवा पुश्तों से उनके ख़ून में शामिल है। जी हाँ मऊ के चर्चित विधायक मुख़्तार अंसारी के बेटे और पूर्व सांसद अफ़ज़ाल अंसारी के भतीजे अब्बास अंसारी ने ख़ानदानी परम्परा को आगे बढ़ाते हुये, समाजसेवा के मज़बूत इरादे के साथ सियासत की दुनिया में बाक़ायदा क़दम रखते हुये अपने 25 वें जनम दिन के दूसरे दिन घोसी विधान सभा से परचा दाख़िल किया। यूं तो राष्ट्रीय चैंपियन रहते हुये मुल्क को गोल्ड मेडल दिलाने वाले अब्बास अंसारी के हौसले बुलंद हैं और अभी भी देश के लिए और मैडल लाने की ख़्वाहिश भी है। पर सियासत की दुनिया में भी उनकी कम वक़्त जो साख, पहचान और लोकप्रियता है वो उनके सुनहरे भविष्य का साफ संकेत है। पूरे पूर्वांचल में आजमगढ़, जौनपुर, ग़ाज़ीपुर, मऊ सहित कई ज़िलों के प्रत्याशी, कार्यकर्त्ता और पार्टी के लोगों की लगातार और पुरज़ोर ख़्वाहिश है कि अगर अब्बास की एक मीटिंग हमारे विधानसभा हल्के में हो जाये तो मंज़र बदल जायेगा और हमारी जीत आसान हो जाय। और निश्चित रूप से इस चुनाव में अब्बास अंसारी ऐसे युवा नेता के रूप में ज़रूर स्थापित होंगे जो लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करेगा। युवाओं के चहेते अब्बास से हर कोई मिलना चाहता है, उनसे जुड़ना चाहता है। ये तो महज़ ज़बरदस्त आग़ाज़ है। अंसारी परिवार के इस युवा से लोगों की बड़ी उम्मीदें वाबस्ता हैं। जिसे आने वाले वक़्त में अब्बास को पूरा भी करना होगा।

Monday 16 January 2017

हार है या है जीत, जंग थी या था ड्रामा।

चुनाव आयोग का फैसला आ चुका है। अब सपा और साईकिल दोनों अखिलेश की है ये ऐलान बाक़ायदा हो चुका है। आने वाले चुनाव में गठबंधन सहित सीटों का चुनाव एक-दो दिन में होने की ख़बर है। सबकुछ पहले से तय था बस घोषणा होना बाक़ी है। पर इस पूरे प्रकरण या यूं कहें की समाजवादी पार्टी में उठा विवाद जिसने संग्राम का रूप लिया और आख़िरकार ये विवाद चुनाव आयोग तक पहुंचा था। और इस पूरे मामले में राजनैतिक पंडित, सियासत के जानकार और मीडिया से जुड़े लोग अक्सर भ्रमित रहे की ये वास्तव में जंग थी या बाक़ायदा रचा गया सियासी ड्रामा जिसका मक़सद सिर्फ और सिर्फ अखिलेश को बड़े ही ड्रामाई अंदाज़ से सपा की कमान सौपना, अखिलेश के नेतृत्व को स्थापित करना, अपनी सियासी विरासत को पूर्णतया अखिलेश को सौपना तो नहीं। महीनो तक मीडिया और सभी का ध्यान भटकाना या आकर्षित करना था। ये मुलायम सिंह की हार है या जीत, ये जंग थी या ड्रामा कुछ साफ हो चुका है और कुछ साफ होना बाक़ी है। पर असल नतीजा तो प्रदेश की जनता सुनाएगी।

अखिलेश को मिली साईकिल, मुलायम सिंह यादव हुये पैदल।

आख़िरकार सियासी जंग में बाप बेटे से हार गया। चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव को साईकिल चुनाव चिन्ह भी दिया और उनके नेतृत्व वाले दल को ही असली समाजवादी पार्टी माना है।मुलायम सिंह ने जिस समाजवादी पार्टी को बनाया उसे इस मुक़ाम तक पहुँचाया और सन् 2012 के विधानसभा चुनाव में बहुमत के बाद उन्हें ढेर सारे लोगों की भावनाओं के विपरीत सत्ता की बागडोर सौंप दी। आज उसी बेटे से छिड़ी सियासी जंग हार गए। उनकी आँखों के सामने उनके अपने लोग ख़ुद उनके बेटे ने उनका साथ छोड़ा और अब पार्टी पर हक़ किसका होगा ये फैसला भी चुनाव आयोग ने मुलायम सिंह के ख़िलाफ़ सुना दिया। अब क्या किसी दूसरी पार्टी को अपना कर मुलायम सिंह बेटे को चुनाव में भी चुनौती देंगे ऐसी चर्चा है। देखिये हुकूमत, सियासत जो न करा दे। तो बेशक ये इस जंग का अंत नहीं, पिक्चर अभी बाक़ी है। देखते चलिए किस्सा कुर्सी का। जंग बाप-बेटे की।