जौनपुर। यूं तो इस मुल्क में हर रोज़ कोई न कोई आयोजन कार्यक्रम होते रहते हैं। जो अपनी शानो-शौकत भव्यता या फिर अपने मक़सद और कुछ लोगों के लिए जाने जाते हैं। पर 23 मार्च को जौनपुर संघर्ष मोर्चा ने देश के लिए अपने प्राण हँसते-हँसते न्योछावर करने वाले शहीदे-ए-आज़म भगत सिंह, राजगुरु व् सुखदेव की शहादत दिवस ऐसे मनाया जैसे दिल से इन शहीदों याद किया जाना चाहिए। न कोई औपचारिकता न फ़र्ज़ अदायगी और न ही सियासी मक़सद। मक़सद था तो बस इतना कि हम उसका ज़िक्र बाक़ी रखना जिसके ज़िक्र से देशभक्ति के ख़ून में रवानी आ जाये। जिसकी चर्चा से भ्रस्टाचार, आतंकवाद की रूह कांप जाये। जिसके नाम लेने से सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन का जज़्बा बाक़ी और क़ायम रहे। जिसके विचार और चिंतन हमें हर दौर में कामयाबी का रास्ता दिखाएँ। ये मोर्चा प्रमुख सुभाष कुशवाहा और उनके साथियों की नेक कोशिश का ही नतीजा था की समाज के हर तबके के लोगों ने पूरे ख़ुलूस के साथ कार्यक्रम में शिरकत की और साबित किया कि भगत सिंह और उनके विचार आज भी ज़िन्दा हैं। आज़ादी से लेकर आज तक की कोई भी सरकार उनके शहादत दिवस पर अवकाश भी घोषित न कर सकीं। पर भगत सिंह तो हर हिंदुस्तानी के दिल में ज़िन्दा हैं। इस कार्यक्रम में हर साल शिरकत करने वाले हर दिल अज़ीज़ विद्या सागर सोनकर प्रदेश महामंत्री जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भी रहे। मसरूफियत के चलते नहीं पहुँच सके। पर लखनऊ से ही मोबाइल से अपना संबोधन किया। टी डी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अरुण सिंह और पूर्वांचल विश्वविद्यालय के डॉ अमित वत्स ने भी संबोधित किया। सतवंत सिंह, सभासद अरुण यादव, इरशाद मंसूरी के अतरिक्त महेश सेठ, महावीर पाल अधिवक्ता आदि बड़े पैमाने पर प्रमुख जन उपस्थित रहे।
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