भारत विविधिताओं का देश है। यहाँ विभिन्न धर्म, जाति, सम्प्रदाय के लोग रहते हैं। पर इन विभिन्नताओं में एकता भी साफ झलकती है। सदियों से साथ रहते-रहते एक दूसरे की संस्कृतियों का भी असर हुआ है। जिसकी साफ मिसाल इस साल होली का त्यौहार है। पहले हमारे हिन्दू मित्र पूछते थे की भाईसाहब ईद कब मना रहे कल या परसों, वही हाल इस बार होली पर देखने को मिला। कि होली कल है कि परसों तो है न ईद का असर। ये तो कहने की बात भर है असल बात तो ये है कि गले मिलने और गिले-शिकवे मिटाने और आपसी भाई-चारा ईद और होली दोनों बढ़ाते हैं तो चाहे जब मनाएं जम के मनाएं। और इसी उम्मीद के साथ की बुरा बिलकुल न मानो होली है।
No comments:
Post a Comment