Saturday 27 August 2016

स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन जौनपुर के प्रथम शहीद राजा इदारत जहाँ(1857) पर पीएचडी की उपाधि अवार्ड हुई।

जंगे आज़ादी (1857) में जौनपुर का नेतृत्व करने वाले शहीद राजा इदारत जहाँ जिन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने टेकना गवारा नहीं किया बल्कि देश के सच्चे सपूत की हैसियत से राजपाट और प्राण सबकुछ न्यौछावर कर दिया। 10 मई 1857 को जौनपुर के मुबारकपुर गाँव में अपने 40 साथियों के साथ अंग्रेजों के साथ वीरता से लड़ते हुये शहीद कर दिये गए। देश के इस महान सपूत को समय के साथ भुला दिया गया। हर वर्ष उनके शहादत दिवस पर महज़ उनके वंशज मुबारकपुर के ग्रामवासी और चंद लोग ही उनकी मज़ार पर पहुँच कर याद करते हैं और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वर्तमान में डॉ राकेश कुमार ने "जौनपुर में राष्ट्रीय आंदोलन और राजा इदारत जहाँ (1857-1930 ई तक) " टॉपिक पर पहली बार रिसर्च किया। डॉ गोविन्द मिश्र के निर्देशन में डॉ राकेश कुमार ने ये उपलब्धि हासिल की। चूँकि राजा इदारत जहाँ पर अभी तक किसी इतिहास के विधार्थी ने शोध नहीं किया था इसलिये ये दुरूह कार्य था। पर डॉ राकेश ने राजा इदारत जहाँ पर शोध के लिये कठिन परिश्रम किया।इन्होंने राजा साहब के क्रिया-कलापों और तत्कालीन परिस्थितियों का जिस प्रकार वर्णन किया है बेशक सराहनीय है।डॉ राकेश ने अपने शोध कार्य के लिये देश की विभिन्न पुस्तकालयों का दौरा किया तथा जो भी लिखा वह प्रसिद्ध इतिहासकारों, विद्धानों, तत्कालीन अख़बार, मैगज़ीन तथा प्रमाणयुक्त कथनो और तथ्यों के आधार पर लिखा है। जो निश्चित रूप से आज की पीढ़ी और जंगे आज़ादी की तारीख़ के लिए मील का पत्थर है। राजा इदारत जहाँ के प्रपौत्र राजा अंजुम हुसैन, कुँवर तनवीर अब्बास शास्त्री ने डॉ राकेश कुमार उनके गाइड डॉ गोविन्द देव मिश्र तथा इस कार्य में सहयोग देने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ पी एन विश्वकर्मा, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, सभी सहयोगियों का ह्रदय से आभार प्रकट करते हुये कहा की उनका ये प्रयास शहीद राजा इदारत जहाँ की शहादत और क़ुर्बानी को जनमानस तक पहुचाने का बेहतरीन ज़रिया साबित होगा। और यही उस शहीद के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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