Saturday 2 July 2016

जुमले-बाज़ी का शिकार सातवां वेतन आयोग, 11 जुलाई से होगी महाहड़ताल ।

सातवां वेतन आयोग भी केंद्र सरकार की जुमले-बाज़ी का शिकार हो गया। कर्मचारी अपने-आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। जब जस की तस माह दिसम्बर में प्रस्तुत सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करनी थी तो फिर सचिवों की कमेटी बनाने और जानबूझकर महीनो टालने की ज़रुरत क्या थी। और तो और गज़ब का मीडिया मैनेजमेंट की विभिन्न समाचार पत्र, टीवी चैनल और वेबसाइड 29 जून तक ये ख़बर देते रहे की सरकार न्यूनतम वेतन 23500- या फिर 27000- स्वीकार करेगी साथ ही 2.9 से 3.4 तक की पे मैट्रिक्स देने जा रही है। पर जिस 7000 को 18000 का ढिंढोरा पीटा जा रहा है वो चपरासी जनवरी 2016 की स्थिति के हिसाब से महज़ 2000- के फायदे में है और नयी बीमा स्कीम के हिसाब से तो उसकी टेक होम सैलेरी और कम हो जायेगी। कुल मिलाकर लगभग हर वेतनमान में उतना भी इज़ाफ़ा नहीं जितना एक कर्मचारी एक वर्ष में डी ए की दोनों किश्तें और वेतन वृद्धि से पाता था फिर इस जुमलेबाजी के आयोग के मायने क्या। बहरहाल 11 जुलाई से केंद्रीय कर्मचारी ऐतिहासिक और महाहड़ताल करने जा रहा है जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ भी पूरे दम-खम से भागीदारी करेगा। हमसे बात करते हुये महासंघ के पदाधिकारी अजय सिंह व अशोक सिंह का संयुक्त रूप से कहना था की कर्मचारी लामबंद है, पूरी तैयारी है। ऎसी हड़ताल न देखी गयी होगी और न सुनी गयी होगी। सरकार को अभी हमारी ताक़त और एकजुटता का एहसास नहीं है। 11 जुलाई से संघर्ष की नई इबारत लिखी जायेगी जो जीत का परचम लहरायेगी।

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