Sunday 10 July 2016

डॉ ज़ाकिर नाइक - नायक या खलनायक ? जाँच एजेंसियां सक्रिय।

इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक, उपदेशक डॉ ज़ाकिर नाइक आरोपों और जाँच एजेंसियों के घेरे में हैं। आरोप है कि उनकी तकरीरों से नौजवान आतंकवाद की ओर आकर्षित हो रहा है। ढाका के हत्यारों में दो उनके प्रशंसक थे। हैदराबाद में पकड़े गये लोगों में एक उनके लिए अभियान चला चुका है।2006 से लेकर अबतक देश-दुनिया में हुयी तमाम आतंकवादी हरकतों में शामिल टोलियों में कुछ उनके प्रशंसक पाये गए हैं। आईएस में शामिल तमाम गुमराह नौजवान उनके फालोवर रहे हैं। ये महज़ एक इत्तेफ़ाक़ है या देश और समाज के लिए बाक़ायदा रची जा रही साज़िश का हिस्सा। बेशक ये जाँच का विषय है। जाँच होगी। एक्शन होगा। पर सवाल ये है कि जब आज पूरी दुनिया आतंकवाद की चपेट में है। हर रोज़ दुनिया के कई हिस्से में निर्दोष आतंकवादी घटना के शिकार हैं। ऐसे में डॉ ज़ाकिर नाइक को सार्वजानिक रूप से अपनी नीयत का खुलासा नहीं करना चाहिए। सऊदी हुकूमत का आतंकी और कट्टर विचारधारा का पोषण करना। फंडिंग करना और हमारे मुल्क में भी इसी विचारधारा को बढ़ावा देने और पानी की तरह पैसा बहाना जग-ज़ाहिर है। हमारे देश की हुकूमत, प्रशासन, और जनमानस को इनसे सख़्ती से निपटना अपरिहार्य हो गया है और जो भी उसका दोषी जाँच के बाद पाया जाय उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए। इन ताक़तों को भारत और ईरान के सम्बन्ध भी फूटी आँख नहीं भा रहे हैं। और ये भारत में भी अफरातफरी मचाने की बाक़ायदा कोशिश में है जिसे किसी हाल में कामयाब नहीं होने देना है। शिया धर्मगुरु इमामे जुमा लखनऊ मौलाना कल्बे जौवाद का कहना है की "ज़ाकिर नाइक जैसे लोग युवाओं को गुमराह  कर रहे हैं । ज़ाकिर कई बार भाषणों में लादेन और मुल्ला उमर जैसे आतंकियों की तारीफ कर चुके हैं।वो अपने चैनल पर मुस्लिम नौजवानो को ग़ैर मुस्लिम के खिलाफ भड़का रहे हैं । सरकार इसकी सख़्ती से जाँच करे।" बहरहाल ज़ाकिर नाइक शक के घेरे में हैं और देश हिट में इस प्रकरण की जाँच कर कठोर करवाई दोषियों के खिलाफ हो चाहे वो ज़ाकिर नाइक हो या कोई और।

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