Tuesday, 28 June 2016

जौनपुर कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूद ये गड्ढा दुर्घटना को है खुला आमंत्रण ।

जौनपुर। कलेक्ट्रेट परिसर के बीचो-बीच न्यायलय  कक्ष संख्या 18 के ठीक दरवाज़े के बग़ल मौजूद ये गड्ढा दुर्घटना को खुला आमंत्रण है। अगर वहां से गुजरने वाले का ज़रा भी ध्यान हटे या फिर वो मोबाइल से बात करने लगे तो निश्चित दुर्घटना हो सकती है। छोटे बच्चे गिर सकते हैं और जानवर भी। जनहित में ज़िम्मेदार अधिकारियो से आम जनता की तरफ से गुज़ारिश है कि इस गड्ढे को बंद कराकर किसी भी दुर्घटना या फिर खतरे से आमजन को बचाएं।

Monday, 27 June 2016

समाजवादी पार्टी ने क्यों किया क़ौमी एकता दल के साथ धोखा ?

समाजवादी पार्टी ने क़ौमी एकता दल विलय में धोखा क्यों किया। इस सियासी ड्रामेबाज़ी का मतलब क्या है। ये जानबूझकर रची गयी साज़िश तो नहीं। एक तरफ पार्टी के चीफ मुलायम सिंह की सहमति और यू पी प्रभारी शिवपाल की मौजूदगी में बाक़ायदा विलय की घोषणा, प्रेस कॉन्फ्रेंस और फिर मुख्यमंत्री अखिलेश की नाराज़गी से लेकर बलराम यादव की बर्खास्तगी , संसदीय बोर्ड की बैठक और बलराम यादव की मंत्रिमंडल में वापसी के साथ इस पूरी साज़िश का अंत हुआ। जहाँ तक मुख़्तार अंसारी की अपराधिक छवि और अखिलेश की विकास के कार्य और बेहतर छवि लेकर चुनाव में जाने की बातें बताकर आँख में धूल झोंकी गयी। तो अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल से लेकर सपा के विधायक और पार्टी में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं जिनके ऊपर विभिन्न आपराधिक मुक़दमे दर्ज न हो और उनके नाम से उस जनपद के आस-पास के इलाके का आम आदमी ख़ौफ़ से कांपता न हो ज़ुल्म का शिकार न हो। रही बात मुख्यमंत्री की छवि की तो आने वाला समय बताएगा, न बिजली न पानी न सड़क न न्याय, बस एक जात विशेष् का दबदबा, हर तरफ भ्रस्टाचार, दलाली, कमीशनखोरी का बाज़ार गर्म है। वो अपने को नितीश कुमार समझते हैं तो अखिलेश की ग़लतफ़हमी है। नितीश को भी गठबंधन की ज़रूरत पड़ी थी। फिर ये धोखा क्यों? कहीं जानबूझकर ये क़ौमी एकता दल को कमज़ोर और रुसवा करने का प्रोग्राम तो नहीं था। पर अगर क़ौमी एकता दल अपनी इस शिकस्त को हथियार के रूप में इस्तेमाल करे तो पूरे पूर्वांचल में सपा का सफाया हो सकता है। वैसे भी मुसलमानो ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुये ये एहसास किया है की अंसारी बंधुओं और क़ौमी एकता दल के साथ ऐसा सिर्फ मुस्लमान होने के नाते और मुस्लिम विरोधी ताक़तों के इशारे पर हुआ है। अगर ये बात आम हो गयी तो समझो सपा साफ हो गयी।

Sunday, 26 June 2016

20 रमज़ान का 100 साल पुराना तारीख़ी जुलूस निकला। या अली या हुसैन की सदा गूंजी।

जौनपुर। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स0)के चचेरे भाई, दामाद, हज़रत इमाम हसन, हुसैन, मौला अब्बास और जनाबे ज़ैनब  के पिता और शिया मुसलमानो के पहले इमाम हज़रत अली इब्ने अबू तालिब की शहादत की याद में मोहल्ला बलुआघाट के मददू की इमामबारगाह से सौ साल पुराना तारीख़ी जुलूस निकला। चिलचिलाती धूप, गर्मी के बावजूद भारी तादाद में मर्द, औरत और बच्चे रोज़ा रखे हुये जुलूस में शामिल हुये। लगभग तीन बजे दोपहर  शुरू हुई इस मजलिस को ख़िताब करते हुये मौलाना क़ैसर अब्बास साहब ने बताया की चौदह सौ साल पहले सुबह की नमाज़ में मौला अली पर आतंकवादी इब्ने मुलजिम ने वार किया और मौला ज़हर में बुझे तीर से रोज़े की हालत में शहीद हुये। हज़रत अली के जैसा दुनिया में न शिक्षाविद् हुआ, न न्याय वादी हुआ और न ऐसा बहादुर और न ही ऐसा शासक। आपने अपने शासन काल में खुले मंच से पूछा की मेरे शासन कॉल क्या कोई भूखा सोया है। एक भी आवाज़ नहीं आयी। दुनिया की इब्तेदा से अब तक किसी शासक की ये हैसियत नहीं की वो अपनी जनता से खुले मंच पर ये दावा कर सके। उनकी वेलदात काबा में और शहादत मस्जिद में हुयी। मसाएब सुनकर लोग सर पीट-पीट कर रोये। मजलिस के बाद तुर्बत के साथ अलम उठाये अज़ादार चहरसू पहुंचे और वहां हुयी तक़रीर के बाद शाह के पंजे की इमामबारगाह की तरफ जुलूस रवाना हुआ। इस तारीख़ी इमामबारगाह में हज़ारों शिया मुसलमान अपने इमाम की ताजिये के दफनहोने के बाद रोज़ा इफ्तार करेंगे। इस आतंकवाद विरोधी जुलूस में असलम नक़वी, क़मर हसनैन दीपू, तनवीर अब्बास शास्त्री, रूमी, आज़म ज़ैदी , मुन्ना अकेला प्यारे भाई आदि मौजूद रहे।

Saturday, 25 June 2016

अंसारी बंधुओं को झटका, क़ौमी एकता दल का विलय सपा को क़ुबूल नहीं।

समाजवादी पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में हुआ फैसला। क़ौमी एकता दल का विलय नहीं होगा। सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने एक बयान में ये बात बताई। निश्चित रूप से मुलायम और शिवपाल पर अखिलेश भारी पड़े। क़ौमी एकता दल और अंसारी बंधुओं के लिए ये ख़बर चौकाने वाली और अच्छी नहीं है। उन्हें अपने राजनैतिक भविष्य और इस विलय के क़दम दोनों पर विचार करना होगा। वहीँ दूसरी तरफ ये फैसला सपा के लिये भी अच्छा नहीं। सियासत में ऐसे गैर संजीदा फैसले नहीं लिए जाते के कभी हाँ तो कभी ना। ये फैसला 2017 के चुनाव में सपा को भारी भी पड़ सकता है। साथ ही ये तथ्य भी सामने आया की सपा में अंदर सबकुछ न बहुत ठीक और न ही सब एक जुट हैं। जब बार-बार फैसले बदले जाएँ तो आप की कमज़ोरी साफ नज़र आती है।

जौनपुर के लोकप्रिय जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी बने बेटी के पिता। बधाई का ताँता।

जौनपुर। जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी की पत्नी श्रीमती मेघा गोस्वामी ने आज वाराणसी स्थित एक निजी नर्सिंग होम में एक बेटी को जनम दिया। डी ऍम को बेटी की ख़बर मिलते ही पूरे कलेक्ट्रेट परिसर में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी। कहीं मिठाई बटी तो कोई फ़ोन से ही खुश खबरी शेयर करता रहा।श्री गोस्वामी पहले से ही एक बेटे के पिता है। तो अब उनके घर में क़ुदरत के दोनों अनमोल तोहफे बेटा और बेटी दोनों है। पूरा जनपद डी ऍम साहब को दिल से मुबारकबाद दे रहा है। मालिक आपको आपके परिवार को खुशनसीबी के साथ सलामत रखे।

Sunday, 12 June 2016

बुज़ुर्ग ग़रीब मोना की ज़िन्दगी में कैसे अचानक आये अच्छे दिन ?

सब कुछ बड़ा अजीबो-ग़रीब हैरत अंगेज़ फ़िल्मी स्टोरी जैसा या फिर कोई दिलचस्प कहानी लगती है पर है एकदम सच। आश्चर्यजनक ज़रूर है पर है हक़ीक़त और हक़ीक़त ऐसी की आँखें खुली की खुली रह जाएँ के आज के दौर में ऐसा भी होता है पर हुआ है। जी हाँ ये कारनामा कर दिखाया फैज़ाबाद की डी एम किंजल सिंह ने। सोमवार का दिन मोना की ज़िन्दगी में यूं आया की मानो रातों-रात मंज़र ही बदल गया। सोमवार की शाम डी ऍम किंजल सिंह सराय पुख़्ता मस्जिद की व्यवस्था देखने क़रीब 7-8 बजे के क़रीब चौक सब्ज़ी मंडी पहुंची तभी उनकी निगाह सब्ज़ी बेच रही बुज़ुर्ग गरीब बदहाल मोना पर पड़ी। डीएम ने एक किलो सब्ज़ी ली और सब्ज़ी की क़ीमत 50 रुपये के बजाय 1550 रूपये दिया और मोना से नाम पता पूछकर चली गयीं।बेवा  मोना अपने टीन शेड के घर पहुंची अपनी नातिन के साथ जो बी ए कर रही है। खाना पका कर नानी नातिन हाथ के पंखे से गर्मी भगाते सोने की तैयारी में थे कि तभी कई गाड़ियां मोना के घर आकर रुकीं। इन गाड़ियों में डॉक्टर्स की भी टीम थी। डीएम किंजल सिंह और सरकारी अमला रात 11 बजे मोना के घर पहुँच चूका था। वहां की हालात देख डीएम का दिल पसीजा। जिलाधिकारी ने मौके पर मौजूद जिलापूर्ति अधिकारी को फ़ौरन 5 kg अरहर की दाल, 20 kg आटा, 50 kg गेहूं, 40 kg चावल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए और कहा जब तक राशन नहीं आता मैं यही रहूंगी। फ़ौरन दुकाने बंद होने के बावजूद अधिकारीयों ने किसी तरह एक घंटे में सब कुछ उपलब्ध करा दिया। इतना ही नहीं डीएम ने sdm दीपा अग्रवाल को निर्देशित किया कि सुबह होते ही एक टेबल फैन, उज्जवला योजना के तहत एलपीजी गैस चूल्हे सहित, तख़्त दो साड़ी उपलब्ध करा दिया जाय। और ये हुआ भी। और जाते-जाते मोना से वादा कर गयीं की खाना पकाने का बर्तन, पीने के पानी के लिए एक हैण्ड पंप और रहने के लिए आवास का निर्माण सरकारी ख़र्च पर कराया जायेगा। हर तरफ इस घटना की चर्चा है। पर अहम् बात ये की ज़िले की न जाने कितने मोना जैसे ग़रीब इस इंतज़ार में हैं की कब डी ऍम के क़दम उनकी भी बदहाली दूर करेंगी।

जौनपुर। अब तो कलेक्ट्रेट परिसर में भी लगता है जाम।

जौनपुर। नगर के व्यस्तम मार्ग ओलंदगंज,कोतवाली चौराहा,चहरसू, सब्ज़ी मंडी और नवाब युसूफ रोड पर जाम लगना तो आम सी बात है पर आजकल तो कलेक्ट्रेट में भी जाम लगता है। जी हाँ चारों तरफ बेतरतीब और मनमाने ढंग से खड़ी की गयीं मोटर साइकिलें, चार पहिया वाहन का खड़ा होना इसकी वजह है। न पार्किंग की विधिवत व्यवस्था न ही कोई सिस्टम ज़ाहिर सी बात है जाम तो होगा ही। उसपर से अगर कोई धरना/प्रदर्शन है तब तो सोने पर सुहागा। इतना ही नहीं गन्दगी और सूअरों की स्थाई मौजूदगी विकास भवन और तहसील के पीछे के इलाके में।नायब तहसील दार के दफ्तर के पीछे काफी जगह है जहाँ सिर्फ भरी नाली, सूअरों का डेरा है। जहाँ साफ-सफाई के साथ जगह का इस्तेमाल हो सकता है। हमारे ज़िले के जिलाधिकारी महोदय बेशक शहर के सुंदरीकरण के लिए दिन-रात एक किये हैं और उनके अथक प्रयास का असर अब शहर में दिखने भी लगा है। इस पोस्ट का मक़सद उनका ध्यान इस और दिलाने की एक कोशिश है।