Sunday 12 June 2016

बुज़ुर्ग ग़रीब मोना की ज़िन्दगी में कैसे अचानक आये अच्छे दिन ?

सब कुछ बड़ा अजीबो-ग़रीब हैरत अंगेज़ फ़िल्मी स्टोरी जैसा या फिर कोई दिलचस्प कहानी लगती है पर है एकदम सच। आश्चर्यजनक ज़रूर है पर है हक़ीक़त और हक़ीक़त ऐसी की आँखें खुली की खुली रह जाएँ के आज के दौर में ऐसा भी होता है पर हुआ है। जी हाँ ये कारनामा कर दिखाया फैज़ाबाद की डी एम किंजल सिंह ने। सोमवार का दिन मोना की ज़िन्दगी में यूं आया की मानो रातों-रात मंज़र ही बदल गया। सोमवार की शाम डी ऍम किंजल सिंह सराय पुख़्ता मस्जिद की व्यवस्था देखने क़रीब 7-8 बजे के क़रीब चौक सब्ज़ी मंडी पहुंची तभी उनकी निगाह सब्ज़ी बेच रही बुज़ुर्ग गरीब बदहाल मोना पर पड़ी। डीएम ने एक किलो सब्ज़ी ली और सब्ज़ी की क़ीमत 50 रुपये के बजाय 1550 रूपये दिया और मोना से नाम पता पूछकर चली गयीं।बेवा  मोना अपने टीन शेड के घर पहुंची अपनी नातिन के साथ जो बी ए कर रही है। खाना पका कर नानी नातिन हाथ के पंखे से गर्मी भगाते सोने की तैयारी में थे कि तभी कई गाड़ियां मोना के घर आकर रुकीं। इन गाड़ियों में डॉक्टर्स की भी टीम थी। डीएम किंजल सिंह और सरकारी अमला रात 11 बजे मोना के घर पहुँच चूका था। वहां की हालात देख डीएम का दिल पसीजा। जिलाधिकारी ने मौके पर मौजूद जिलापूर्ति अधिकारी को फ़ौरन 5 kg अरहर की दाल, 20 kg आटा, 50 kg गेहूं, 40 kg चावल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए और कहा जब तक राशन नहीं आता मैं यही रहूंगी। फ़ौरन दुकाने बंद होने के बावजूद अधिकारीयों ने किसी तरह एक घंटे में सब कुछ उपलब्ध करा दिया। इतना ही नहीं डीएम ने sdm दीपा अग्रवाल को निर्देशित किया कि सुबह होते ही एक टेबल फैन, उज्जवला योजना के तहत एलपीजी गैस चूल्हे सहित, तख़्त दो साड़ी उपलब्ध करा दिया जाय। और ये हुआ भी। और जाते-जाते मोना से वादा कर गयीं की खाना पकाने का बर्तन, पीने के पानी के लिए एक हैण्ड पंप और रहने के लिए आवास का निर्माण सरकारी ख़र्च पर कराया जायेगा। हर तरफ इस घटना की चर्चा है। पर अहम् बात ये की ज़िले की न जाने कितने मोना जैसे ग़रीब इस इंतज़ार में हैं की कब डी ऍम के क़दम उनकी भी बदहाली दूर करेंगी।

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