अभी पूर्व सांसद धनंजय सिंह की बसपा में वापसी की ख़बर को अभी एक पखवारा भी नहीं बीता था की आज चौकाने वाली ख़बर आयी। देखते-देखते सोशल मीडिया पर ये खबर वायरल हुई कि ज़ोनल कोऑर्डिनेटर बसपा राजकुमार कुरील ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पूर्व सांसद धनजंय सिंह को बसपा में नहीं लिया गया है और न ही वो किसी विधानसभा हल्के से उम्मीदवार हैं।विधान सभा का टिकट प्रत्याशियों का बरक़रार रहेगा। ज़िले के लोगों ने इस खबर की पुष्टि के लिए एक दूसरे को फोन करना शुरू किया। बेशक समर्थकों में मायूसी और गुस्सा दोनों है। और ये मौजूदा राजनीति की बड़ी और हैरतअंगेज़ खबर भी। लोग इस खबर की सच्चाई और इसके पीछे के सच को लेकर काफी पशोपेश में रहे। वैसे पूरा सच और खबर अगर सच है तो इस खबर के पीछे का सच और राजनैतिक फायदे नुक़सान और बदलते समीकरण को लेकर भी चर्चा आम है। बहरहाल ये तो आने वाला समय ही बताएगा पर सियासत में न कुछ असंभव है और न आख़री। ज़िले का सियासी पारा तो गरम है ही। दरअसल खबर धनजंय सिंह से सम्बंधित जो है।
Tuesday, 13 September 2016
Sunday, 11 September 2016
चकबंदी कर्मचारी संघ के प्रांतीय चुनाव में सुरेन्द्र शुक्ल अध्यक्ष, सलभ श्रीवास्तव महासचिव निर्वाचित।

Saturday, 10 September 2016
हनुमान गढ़ी से मदरसा गुरैनी तक राहुल गांधी की किसान यात्रा का जनता कनेक्शन, दिखने लगा प्रशांत का जादू।।
हनुमानगढ़ी से जौनपुर के गुरैनी मदरसा तक की राहुल गांधी की किसान यात्रा के जनता कनेक्शन में प्रशांत किशोर की रणनीत का जादू सर चढ़ कर बोलने लगा है। ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में न जोश था न उत्साह और न ही जनता से कोई सीधा जुड़ाव। ऐसे में प्रशांत किशोर की रणनीत ने अप्रत्याशित रूप से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह भर दिया है। जो निष्क्रिय थे सक्रिय हो गए। आम जनमानस में कांग्रेस और राहुल की किसान यात्रा चर्चा में है। और राहुल गांधी और किसानो के बीच संवाद ने तो प्रदेश के अन्य राजनैतिक दलों की रातों की नींद उड़ा दी है। किसान यात्रा ख़त्म होते-होते कार्यकर्ताओं में जोश स्थायी रूप ले चुका होगा और नए जुड़ने वाले कार्यकर्ताओं की लंबी कतार। इतना ही नहीं जनता से सीधे संवाद का असर भी प्रदेश की जनता में साफ दिखेगा। और यही प्रशांत किशोर की रणनीत का हिस्सा भी। वैसे भी अगर आप देखें तो लगभग दो दशक से बड़े नेताओं को छोड़ दें स्थानीय सांसद विधायक का जनता से कोई कनेक्शन या संवाद नहीं रहा। बस साम्प्रदायिक और जातीय आधार पर गोलबंदी और जज़्बात के आधार पर वोट लेने की सियासत दिखी है। किसान लगभग 70 प्रतिशत है पर उसकी समस्याओं की अनदेखी का नतीजा आत्महत्या है। और किसानो के क़रीब जाकर उनके दिल का हाल किसी ने न जाना हाँ अपने मन की बात ज़रूर सुनाई गयी है। तो निश्चित रूप से ये प्रयास रंग लाएगा और उत्तर प्रदेश् के चुनावी समीकरण को बदल के रख देगा। पर इसका प्रभाव कितना सीटों में बदलेगा ये तो वक़्त बताएगा। किसान यात्रा के बहाने हिन्दू और मुस्लिम दोनों से जोड़ने की हनुमान गढ़ी से गुरैनी मदरसा तक की कोशिश भी अगर रंग लाई तो बाक़ी सब का बंटाधार तय है।
Friday, 9 September 2016
जब जौनपुर शहर का सामना हुआ भयंकर बदबू और संक्रमण से।
जौनपुर। 9 सितम्बर की सुबह जब शहर जौनपुर के उत्तरी इलाके के लोगों ने सुबह-सबेरे घर से बाहर क़दम रखा तो चाहरसू चौराहा ,किले के आसपास , तथा सदभावना पुल के दोनों छोर तक स्लाटर हाउस के मलवे की बदौलत इस क़दर बदबू की नागरिकों का आना जाना दुशवार था। किसी तरह लोग नाक पर रुमाल रख अपना रास्ता तय कर रहे थे। जो ज़्यादा संवेदनशील थे उनका उलटी से बुरा हाल था। शहर का एक बड़ा हिस्सा बदबू और संक्रमण की भेट चढ़ चुका था। तभी नागरिक अधिकारों के प्रति सजग और संघर्षत जौनपुर संघर्ष मोर्चा ने सोये हुये प्रशासन को नींद से जगाया और दर्जनों पदाधिकारियों के साथ नगर पालिका पहुँच कर अधिशाषी अधिकारी से रोष प्रकट करते हुये। उनको उनके कर्तव्य का एहसास कराया। तब जाकर नगर पालिका प्रशासन हरकत में आया और आनन् फानन में करवाई शुरू कर दी। मोर्चा ने पत्रक देकर प्रशासन को आगाह करते हुये भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए चेतावनी भी दिया। मोर्चा ने पूरे शहर में अतिक्रमण के मलवे से उत्पन्न गन्दगी और जलजमाव से नागरिकों को निजात दिलाने सहित शहर की कई समस्याओं की तरफ ईओ का ध्यान आकृष्ट कराया। मोर्चा के पदाधिकारियों का नेतृत्व मोर्चा के प्रमुख सुभास कुशवाहा, सतवंत सिंह, महेश सेठ, आकिल जौनपुरी आदि कर रहे थे।
Wednesday, 7 September 2016
तो मुख़्तार अंसारी जौनपुर में संभालेंगे सपा की कमान, मचेगा राजनैतिक घमासान।
जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव क़रीब आ रहा है। हर रोज़ सभी राजनैतिक दल नए-नए समीकरण अपने पक्ष में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं साथ ही दूसरे के दावँ की काट करने में भी लगे हैं। इलाहाबाद में बहुजन समाज पार्टी की रैली में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बसपा में पुनः शामिल कर जौनपुर सहित पूरे पूर्वांचल की राजनीति को साधने और बसपा के हक़ में मतों को जोड़ने की ज़बरदस्त कोशिश की है। बेशक जनपद जौनपुर की हर विधान सभा में सिर्फ ठाकुर ही नहीं अन्य मतदाताओं में उनकी पैठ है। साथ ही उनके अपने असर से बसपा फायदे में और अन्य दल नुक़सान में नज़र आने लगे। ख़ासतौर से दयाशंकर सिंह कांड के बाद अपनी ठाकुर विरोधी छवि को धनंजय सिंह के सहारे मिटाने और भाजपा को झटका देने की भी है।ये चर्चा आम है राजनितिक पंडितों में की बसपा के धनंजय दावँ की काट सपा को मुख़्तार अंसारी में नज़र आ रही है। तभी सपा जौनपुर सदर विधान सभा से मुख़्तार अंसारी को लड़ा कर जौनपुर सहित पूर्वाञ्चल में सपा के खिसकते मुस्लिम मतदाताओं को जोड़ने और सक्रिय करने की फ़िराक़ में हैं। जौनपुर सदर विधानसभा मुस्लिम बाहुल्य है साथ ही मुख़्तार अंसारी के समर्थकों की यहाँ कमी नहीं है। पिछले कई विधानसभा, लोकसभा और नगरपालिका चुनाव में मुख़्तार जौनपुर के मुस्लिम मतदाताओं में अपनी पकड़ का एहसास करा चुके हैं। तो बेशक मुख़्तार अंसारी के आने से सिर्फ सदर विधानसभा ही नहीं जनपद की हर सीट का मंज़र बदलेगा। वहीँ जौनपुर सदर से मौजूदा प्रत्याशी जावेद सिद्दीक़ी जिन्हें शुरवात से ही राजनीति के जानकारों ने कभी परमानेंट प्रत्याशी नहीं माना दिन ब दिन प्रत्याशिता में कमज़ोर पड़ते जा रहे हैं। दरअसल ख़ुद मुख़्तार अंसारी मऊ की सीट अपने बेटे के लिए छोड़ना चाहते हैं। फिर तो उनके लिए भी जौनपुर से बेहतर सीट नहीं हो सकती है। वैसे जौनपुर के एक पत्रकार जो मुस्लिम समाज से हैं और मुलायम सिंह के परिवार के अति निकटतम लोगों में उनका शुमार है वो भी विधानसभा सदर जौनपुर से सपा प्रत्याशी हो सकते हैं इसकी चर्चा भी हर गली नुक्कड़ पर है । बताया जाता है की वो भी टिकट की दौड़ में आगे हैं। बहरहाल नतीजा चाहे जो हो। अगर ये सारी चर्चा और क़यास सही साबित हुये तो बेशक जौनपुर इस बार पूर्वांचल में राजनीति का अखाड़ा साबित होगा। अब क्या होगा क्या नहीं होगा ये तो वक़्त बताएगा पर जौनपुर इस वक़्त ज़बरदस्त चर्चा में ज़रूर है।
Sunday, 4 September 2016
पूर्व सांसद धनंजय सिंह फिर से बसपा में, बदलेंगे समीकरण और राजनैतिक हालात ।
राजनीति के मंझे हुये और चतुर खिलाड़ी पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने सही समय पर बसपा में एन्ट्री मारी है। सियासत में अवसर बहुत अहम् होता है। आप सही अवसर पर सही क़दम उठायें तो आप कामयाब होंगे। आज जब सपा और भाजपा दोनों सरकारों के ख़िलाफ़ माहौल है और प्रदेश का दलित यादव के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग बसपा की तरफ देख रहा है। मायावती की रैलियों में अपार जनसमूह उमड़ रहा है। मुसलमानो की ख़ामोशी भी बसपा के पक्ष में जाने के संकेत साफ होते जा रहे हैं। बसपा दिन ब दिन बहुमत की सरकार बनाने की दिशा में एक क़दम हर रोज़ बढ़ा रही है। साथ ही ठाकुर समाज के सारे छोटे बड़े नेता हर पार्टी के या तो भाजपा में जा चुके या चले जायेंगे। ऐसे समय में धनंजय सिंह की बसपा में वापसी के मायने हैं। पार्टी के प्रमुख स्वर्ण चेहरा होंगे। ज़िले स्तर से लेकर ऊपर तक पार्टी में पकड़ होगी। यानि सही समय पर सही फैसला। ज़ाहिर सी बात है ज़िले के समीकरण हर सीट पर बदलेंगे और प्रत्याशियों में भी फेर बदल हो सकता है।
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