ज़ोर-ज़बरदस्ती है। बेकसूरों का क़त्ल है।अल्लाह के घर मस्जिद और शहर-शहर बम के धमाके हैं दहशत है वो इस्लाम नहीं आतंकवाद है।यहाँ ये उल्लेखनीय है की जो खुलकर जमकर आतंकवाद का विरोध करे । चाहे मौत ही क्यों न आ जाय। ये हुसैनी किरदार और इस्लाम है। जो आतंकवादियों का खुलकर जमकर विरोध न करे उनके लिए हमदर्दी रखे सहयोग करे वो दिखने में मुसलमान जैसे हो पर वो दरअसल आतंकवादी हैं। इमामे हुसैन के चेहलुम के मौके पर पूरी दुनिया से दर्शनार्थी करोड़ों की तादाद में कर्बला पहुच चुके हैं। स्थानीय इमाम हुसैन के चाहने वाले दर्शनार्थियों की इतनी सेवा करते है। जो दुनिया के पैमाने पर मिसाल है। यही मानव सेवा इस्लाम है।जो पूरी दुनिया के लिए आतंक का कारण हैं वो निश्चिंत आतंकवादी ।जो फर्क़ हज़रत इमाम हुसैन और यज़ीद में है। वही इस्लाम और आतंकवाद में है।या हुसैन जय हिन्द । दरअसल हिंदुस्तान की मूल आत्मा हुसैनी और आतंकवाद की दुश्मन है। जिसपर हमें बेइंतेहा गर्व है।
Sunday, 29 November 2015
इस्लाम और आतंकवाद में फर्क़ कैसे करें ?
ज़ोर-ज़बरदस्ती है। बेकसूरों का क़त्ल है।अल्लाह के घर मस्जिद और शहर-शहर बम के धमाके हैं दहशत है वो इस्लाम नहीं आतंकवाद है।यहाँ ये उल्लेखनीय है की जो खुलकर जमकर आतंकवाद का विरोध करे । चाहे मौत ही क्यों न आ जाय। ये हुसैनी किरदार और इस्लाम है। जो आतंकवादियों का खुलकर जमकर विरोध न करे उनके लिए हमदर्दी रखे सहयोग करे वो दिखने में मुसलमान जैसे हो पर वो दरअसल आतंकवादी हैं। इमामे हुसैन के चेहलुम के मौके पर पूरी दुनिया से दर्शनार्थी करोड़ों की तादाद में कर्बला पहुच चुके हैं। स्थानीय इमाम हुसैन के चाहने वाले दर्शनार्थियों की इतनी सेवा करते है। जो दुनिया के पैमाने पर मिसाल है। यही मानव सेवा इस्लाम है।जो पूरी दुनिया के लिए आतंक का कारण हैं वो निश्चिंत आतंकवादी ।जो फर्क़ हज़रत इमाम हुसैन और यज़ीद में है। वही इस्लाम और आतंकवाद में है।या हुसैन जय हिन्द । दरअसल हिंदुस्तान की मूल आत्मा हुसैनी और आतंकवाद की दुश्मन है। जिसपर हमें बेइंतेहा गर्व है।
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