Thursday 3 December 2015

दरिया किनारे प्यासों का मातम। उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

जौनपुर। आज इस्लामिक कैलेन्डर के माह सफ़र की 20 तारीख़ थी।इसी तारीख़ को हर साल आक़ा हुसैन के अज़ादार पूरी दुनिया में इमाम हुसैन का चेहलुम मनाते हैं।आज सुबह से ही लोग गोमती नदी के तट यांनी अली घाट पर इकठ्ठा होना शुरू हुये और देखते-देखते हर तरफ सिर्फ काले कपडे में हुसैन के अज़ादार और कुछ नहीं।सबसे पहले मौलाना महफ़ुज़ूल हसन खान ने मजलिस को खेताब किया। मौलाना हसन अकबर और रज़ी बिस्वानी ने जुलूस उठने के बाद तक़रीर की। दरिया किनारे पानी के अंदर हुसैन के अज़ादारो ने जब लबबैक या हुसैन की सदा बुलंद की और अलम ताबूत ज़ुल्जना को देखकर हर किसी को कर्बला के प्यासे शहीद याद आये और लोगों ने नम आँखों से अपने इमाम को याद किया।आज से 1400 सौ साल पहले तब के आतंकवादी यज़ीद और उसके साथियों ने इमाम हुसैन और उनके साथियों का बेरहमी से क़त्ल किया। और आज उनके चाहने वाले उनकी याद में पानी की सबील चलाते हैं और लोगों कोखाना खिलाते हैं। तब हज़रत इमाम हुसैन ने क़ुर्बानी देकर आतंकवाद का सर कुचला और आज उनके चाहने वाले हुसैन का नाम लेकर आतंकवाद का विरोध कर रहे। भारी तादाद में मौजूद आक़ा के अज़ादारो के इस चेहलुम के प्रोग्राम का संचालन असलम नक़वी और मेहँदी आब्दी ने किया।


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