Sunday 27 December 2015

जौनपुर का ऐतिहासिक शाही किला शर्की काल से जंगे आज़ादी और पिकनिक स्पॉट तक के सफ़र की दास्ताँ।

जौनपुर का ऐतिहासिक शाही किला जिसे शर्की सल्तनत के फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने बनवाया था। वक़्त गुज़रा दौर बीता सन् 1857 में जब अंग्रेजों के ख़िलाफ़ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन छेड़ा था तब 1857 के प्रथम शहीद राजा इदारत जहाँ  जिन्होंने मुल्क की आज़ादी की लड़ाई में  राज पाट  और यहाँ तक की जान भी न्योछावर  कर दी
के संग्राम का ये केंद्र बिंदु था। गोमती नदी के रास्ते दुश्मन की फ़ौज ने हमला किया और किले के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की गयी जिसमे काफी हद तक वो कामयाब भी रहे। जंग के दौरान फ़ौज के कमांडर इन चीफ मेहदी जहाँ अंग्रेजों से लड़ते शहीद हुये जिनकी मज़ार किले में घुसते ही सामने ऊंचाई पर है। फिर उन्ही के भाई शहीद सफ़दर जहाँ  अंग्रेजों से लड़ते शहीद हुये जिनकी मज़ार अंदर मस्जिद के सामने पेड़ के नीचे है। उल्लेखनीय है की दोनों शहीदों की लाश को गोमती में फेकने की कोशिश की गयी पर लाश टस से मस न हुइ । तब उन्हें यही दफनाया गया।धीर-धीरे किला खंडहर में तब्दील होने लगा। दीवारों का ढहना झाड़ी गन्दगी यही किले का सच हो गया। फिर क्राइम करने वालों की ये मनपसन्द जगह हो गयी। तभी कोई ढाई दशक पहले पुरातत्व विभाग ने अपनी देख रेख में बाक़ायदा इसे लिया। फिर दीवारों की मरम्मत चारों तरफ लोहे के छड़ की घेरा बंदी हरी मक़मली घांस किले के अंदर चलने के लिये चारों तरफ बेहतरीन  सड़क बाग़ बगीचा पेड़ फूल पौधे आने जाने का टाइम साफ सफाई अनुशासन पम्पिंग सेट पीने का पानी टॉयलेट डस्ट बिन बैठने की कुर्सी हरियाली आदि ने इसे पिकनिक स्पॉट बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।अब तो हर हॉलिडे  15 अगस्त 26 जनवरी वेलेंटाइन डे पर तो यहाँ का नज़ारा ही खूब होता है। हर रोज़ सुबह शाम यहाँ टहलने शहर के कोने-कोने से लोग आते हैं। पूरे परिवार की पिकनिक के साथ प्रेमी युगल के लिये यह मनपसंद जगह है जिन्हें हर रोज़ भारी तादाद में देखा जा सकता है। फ़ोटो ग्राफी और भोजपुरी फिल्मो की शूटिंग की भी ये उपयुक्त जगह है जो अक्सर होती है। बेशक अंदर की हरियाली खुशनुमा माहौल देखकर एहसास होता है की हम किसी पर्यटन स्थल पर आये हैं। नहीं है तो बस एक गाइड जो लोगों को ऐतिहासिक सच बता सके।

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