जौनपुर।अज़ादारी का मरकज़ है।आज इस्लामिक कैलेंडर के सफ़र माह की 28 तारीख़ को डेढ़ सौ साल पुराना तारीख़ी जुलूस इमामबाड़ा मरहूम हसनैन अहमद मखदूंम शाह अढ़न में बाद ख़त्म मजलिस उठा।मजलिस को ख़तीबे अहलेबैत डॉ क़मर अब्बास ने खेताब किया।सोज़ख़्वानी के फ्रायज़ को डॉ शबाब हैदर ने अंजाम दिया।मुसलमानो के आख़री पैग़म्बर मुहम्मद मुस्तफा स0 की वफ़ात और उनके नवासे हज़रत इमाम हसन की शहादत का ग़म मनाने के लिये आज मजलिस मातम जुलूस उठाया जाता है।सक़लैन अहमद खान साहबे ब्याज़ अंजुमन जाफरी ने बताया की 150 साल पहले मरहूम मौलवी इनायत खां साहब ने इस जुलूस को क़ायम किया था। जौनपुर के तारीख़ी और बड़े जुलूसों में से एक इस जुलूस को अंजुमन जाफरी उठाती है।जैसे ही मजलिस ख़तम हुइ अंजुमन जाफ़री ने बैनी नौहा रो-रो के मदीने वालों से सब हाल सुनाया ज़ैनब ने पढ़ा लोगों की आँखों से आंसू छलक आये। इस इमामबारगाह से उठकर कोतवाली चौराहा सहित मुख्य मार्गों से होते हुये जुलूस सदर इमामबाड़े पहुंचेगा जहाँ ताज़िया दफ़न होगा।भारी संख्या में औरत मर्द बच्चे शामिल रहे।जगह-जगह सबील चाय पानी का इफरात इंतेज़ाम है। इस मौके पर तमाम अज़ादारो के साथ सक़लैन अहमद।मुन्ना अकेला।बाबू।तहसीन शाहिद।मुन्ने राजा।तनवीर अब्बास शास्त्री । अंजुम सईद।आदि रहे।
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