Thursday 24 December 2015

जश्न ईद मिलादुन्नबी आतंकवाद के ख़िलाफ़ संकल्प दिवस।

जश्न ईद मिलादुन्नबी यानि हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स0) की यौमे विलादत (जनम दिन) की ख़ुशी का जश्न। पूरी दुनिया में सुन्नी मुस्लमान माहे रबी अव्वल की 12 तारीख़ और शीया मुसलमान 17 तारिख को अपनी अपनी आस्था के मुताबिक़  हुज़ूर का जनम दिनमनाते हैं।इस आयोजन को विशाल रूप देने के लिये दुनिया के बहुत से मुल्कों में 12 से 17 तक पूरे हफ्ते जश्न मनाते हैं जिसे हफ्ता-ए-वहदत के नाम से जाना जाता है। जिसकी शुरुवात ईरान ने किया। बेशक ये उसकी यौमे विलादत है जिसके सदके में इस पूरी कायनात की खिलक़त हुइ। जो सबके लिये रहमत बनकर आये। जो सुल्ताने मदीना हैं। नबियों के सरदार हैं महबूबे इलाही हैं हबीबे ख़ुदा हैं। अल्लाह ने जिनके उपर अपना पाक कलाम क़ुरान पाक नाज़िल किया। जिन्होंने कभी झूठ नहीं बोला ये उनकी सच्चाई उत्तम चरित्र बेहतर व्ययव्हार का नतीजा था की इस्लाम की नीतियों का प्रभाव लोगों पर तेज़ी से होने लगा। लोग दूर-दूर से सिर्फ आपको देखने और मिलने आने लगे। उस समय जिन लोगों ने दिने इस्लाम का कलमा नहीं पढ़ा उन्होंने रसूल अल्लाह की सदाक़त का कलमा ज़रूर पढ़ा। आपकी शांति और अमन का पैग़ाम लोगों तक पहुचने लगा।हुज़ूर के इतने अलप परिचय से ये साबित है की इंसान और मुस्लमान होने की पहली शर्त उत्तम चरित्र सच्चा होना और उत्तम व्ययव्हार की नितांत आवश्यकता है फिर लोगों को सरे आम क़त्ल करने वाले औरतों बच्चों पर ज़ुल्म करने वाले लोगों को बम से उड़ाने वाले आतंकवादी मुस्लमान  कैसे हो सकते हैं।आतंकवाद पूरी दुनियाये इंसानियत के लिए बड़ा ख़तरा है। जो इस्लाम का लबादा ओढ़कर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं।आज पैग़म्बरे इस्लाम की यौमे विलादत के मौके पर हमें ये प्रण लेना होगा की आतंकवादियों को बेनक़ाब करना उन्हें नेस्तनाबूद करना हमारा पहला फ़रीज़ा है। आतंकवाद का खुलकर जमकर विरोध करना उनके ज़ुल्म से दुनिया को बचाने में हम कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। हम पैग़म्बरे इस्लाम के दीन को रुस्वा और बदनाम नहीं होने देंगे।आज के दिन हम क़सम खाएं की अपने चरित्र सच्चाई अच्छे व्यवहार और जन सेवा से दुनिया जीत लेंगे। यही रसूल की सीरत सुन्नत और बन्दगी इंसानियत भी यही है। दुनिया को अमन शांति का पैग़ाम देना वक़्त की जरूत और इस्लाम की शिक्षा भी यही है।

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