Sunday 7 February 2016

ज़ुल्म और आतंकवाद के ख़िलाफ़ राजधानी लखनऊ में ऐतिहासिक प्रदर्शन।

लखनऊ। ज़ुल्म और आतंकवाद के ख़िलाफ़ आज राजधानी लखनऊ में ऐतिहासिक आसिफी (बड़े इमामबाड़े) में शहर के मज़लूमों और हकपरस्तों ने तारीख़ी प्रदर्शन किया। मौक़ा था शहीद शेख़ बाकिर अल निम्र की चालीसवें की मजलिस का  ऐसा लगता था मानो शहर का एक-एक बाशिंदा इस प्रदर्शन में शामिल हो। शहर के कोने-कोने से जूक दर जूक जो लोगों के आने का सिलसिला शुरू हुआ वो मजलिस ख़त्म होने तक जारी रहा। ये तारीख़ी और विशालकाय इमामबारगाह भी जैसे इस आतंकवाद विरोधी प्रदर्शन के लिये छोटी पड़ गयी। कहीं भी तिल रखने की जगह बाक़ी नहीं थी। यहाँ तक की भारी संख्या में लोग सड़क पर खड़े रहे। मजलिस उल्माए हिन्द की तरफ से आयोजित इस मजलिस को ख़िताब करते हुये इस संगठन के महासचिव मौलाना सयैद कल्बे जवाद नक़वी का कहना था की शहादत वो असलहा है जिससे क़ातिल अपना गला ख़ुद काट लेता है। मौलाना का कहना था की शेख़ बाकिर का ख़ून बेकार नहीं जायेगा रंग लाएगा। सऊदी अरब पूरी दुनिया में बेनक़ाब हो चुका है। आतंकवाद ज़ुल्म और उसकी पोषक सऊदी हुकूमत का विनाश तय है। क्योंकि शेख़ बाकिर व्यक्ति नहीं विचार थे। विचार कभी मरता नहीं यही विचार ज़ुल्म के ख़ात्मे और क्रांति का कारण बनेगा। मौलाना ने चुनौती देते हुये कहा की हम हर क़ुर्बानी देने को तैयार हैं पर आतंकवाद का सफाया करके रहेंगे। मौलाना ने कहा कि आतंकवाद के हमदर्दों और मदद करने वालों को भी नेस्तनाबूद होना है।मजलिस को आलिम अहले सुन्नत मौलाना खुर्शीद अनवर, मौलाना रज़ा हुसैन, हबीब हैदर आब्दी, मोहम्मद मियां आब्दी, स्वामी सारंग जी आदि ने  भी संबोधित किया। लखनऊ शहर और बड़ा इमामबाड़ा ज़ुल्म और आतंकवाद के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक प्रदर्शन और क्रन्तिकारी आगाज़ का गवाह बना। 

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