
अक्सर दीवार बटवारे और नफरत का कारण बनती है। पर एक ऐसी दीवार जो प्रतीक है जनसेवा की। जी हाँ जनसेवा की दीवार।जो ग़रीबों को खाना कपड़ा कम्बल सब मुहैया कराती है वो भी बगैर शर्मिंदा हुये और फ़ोटो भी नहीं खिचवानी पड़ती। जी हाँ जहाँ एक तरफ लोग अगर चंद गरीबों को कम्बल आदि बांटते हैं तो न जाने कितनी फ़ोटो का खिचना, अख़बारों, मिडिया में प्रचार और भरी महफ़िल में उस ग़रीब को शर्मिंदा होना पड़ता है पर क्या करे। लेकिन ईरान में एक ज़बरदस्त शुरवात हुयी जब एक दीवार पर रंग- पेंट कर लिखा गया। (wall of kindness) यानि नेकी की दीवार। खूँटी पर कपडे टांगे गए कि जो भी ज़रुरत मंद हो कपड़े ले जाएँ। फिर क्या था ये सिलसिला चल निकला पूरे ईरान में जगह-जगह दीवारों पर कपडे, गर्म कपडे कम्बल आदि टांगे जाने लगे। ग़रीब की मदद भी और बिना शर्मिंदा हुये और प्रचार भी नहीं। इतना ही नहीं दीवारों पर वायरिंग कर जगह-जगह फ्रीज़ भी रखी गयी जिसमे ब्रेड मक्खन और खाने के सामान रखे गए। ज़रूरतमंद ले जाने लगे और बहैसियत रखने लगे और ज़बरदस्त ठण्ड में ईरान के ग़रीबों की मदद नायाब तरीके से हो रही है। ऐसे जज़्बे को सलाम, ऐसी कोशिश को सलाम, ऐसे नायाब तरीके को सलाम। जो पूरी दुनिया में एक मिसाल है। तो है न अजूबी दीवार जो गरीबों की है मददगार।
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